...

8 views

मुखौटा
#मास्क

दिल्ली मेट्रो में आपका स्वागत है, कृपया पीली रेखा का ध्यान रखें..!, मेट्रो से आने वाले यात्रियों को पहले उतरने दे, दिल्ली मेट्रो में सफर करते वक्त फेस मास्क पहनना अनिवार्य है, ये सूचनाएं गूंज रही थी। राजीव चौक मेट्रो रोजाना की तरह आज भी शहर की एक आबादी की रौनक के साथ सजा हुआ था। साहिल food court में मजे से मोमोज का आनंद ले रहा था। खाना खत्म हुआ उसने पैसे दिए और टिस्सू पेपर से हाथ मुंह पोछते हुए मस्त चाल से बाहर निकलकर yellow line के तरफ जा ही रहा था की दिल्ली पुलिस के एक हवलदार ने उसका हाथ पकड़कर एक तरफ चलने को इशारा कर दिया...

.......... Based on True Story..........

साहिल के आश्चर्य का कोई ठिकाना न रहा... की कोई पुलिस वाला उसे इतनी आसानी से पकड़ भी सकता है... इसलिए वह काफी निश्चिंत था ।
वाकई में..... !!! साहिल के हिसाब से आज तक उसने ऐसा कोई काम न किया था की वो इतनी आसानी से पकड़ा जाएं । और उसमें भी वह न जाने कितने सालों बाद फिर से दिल्ली लौट कर आया था ।
उसकी हमेशा की आदत थी की वह एक शहर में काम हो जाने के बाद उस शहर में सालोसाल नहीं जाता... कम से कम तब तक तो बिल्कुल नहीं जबतक खुद वह वहां की गलीकूची भूल न जाएं इससे कम से कम एक फायदा तो जरूर होता है की वह वहां अंजान बन कर आसानी से रह सकता है । और लोग भी उसे भुला चुके होते है ।
उफ्फ....., पर इस बार ऐसा क्या हुआ या ऐसा क्या कुछ मेरे हांथ से गलत हो गया की मुझे पकड़ा गया ???
आज पहली बार साहिल के चेहरे पर अनेकों भाव उभरे थे । पहली बार... वास्तव में पहली बार... आज तक किसी ने भी उसके स्थिर भावों के अलावा कोई नया भाव उसके चेहरे पर नहीं देखा था।

साहिल एक हैंडसम इंसान था कदकाठी, रंग एकदम ऐसा की कोई भी देखातेही जल्दी फिदा हो जाएं । फिर बातचीत सभ्यता ऐसी.... की कोई भी स्त्री मर मिटने के लिए तैयार हो जाएं....,
नौकरी वायु सेना में बतौर रैंक ऑफिसर... अर्थात कम से कम वो तो ऐसा ही बताता था लोगोंको, तो जाहिर है की पोस्टिंग भी पूरे भारत भर में कही भी होती है....! अब.. कोई, ना ही उसके पढ़ाई लिखाई के, ना ही उसके नौकरी के सार्टिफिकेट्स देखने के लिए मांगता... तो इंप्रेशन पूरा का पूरा आसानी से बन जाता...! इसी का तो फायदा उठाता था वह...!! और कोई भी सबूत ना छोड़ने से कहीं पर भी पकड़ा ना...