...

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बिसरी गलियां
मेरा शहर मुझसे मेरी पहचान पूछ रहा था और मै अपने शहर से पूछ रही थी अपने घर का पता ...
कुछ सकुचाती सी मेरी आंखें हर गली को बड़े गौर से देख रही थीं ...
कि शायद ये वाली गली हो जो मुझे मेरे घर तक पहुंचा दे ...?
आई भी तो एक अरसे बाद थी।
बारहा समय का अन्तराल बहुत कुछ बदल देता है ..जिसका अंदाजा शायद  मुझे...