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एक अनकही दास्तां
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part :- 1

ये कहानी है एक लड़के की .........................
उस बच्चे की जो किसी की नही सुनता था । गुस्सा मानो नाक पर रहता था उसके । हमेशा लड़ता, हमेशा झगड़ता
नही रहता था उसे होश की सामने कोन है अब चाहे वो लड़का हो या लड़की सब पर वो हाथ उठाता था। और होश हो भी कैसे अभी बच्चा ही तो था न । अभी दुनिया देखी कहा थी उसने । अभी तो सिर्फ 13 साल का ही था जब उसने अपना स्कूल बदला था । 8th class के बाद आप 9th class में अब वो अपने नए स्कूल गया ।
पहली बार सरकारी स्कूल में जाना उसके लिए अटपटा था और हो भी क्यों ना आखिर बचपन से लेकर अब तक उसने प्राइवेट स्कूल में ही तो पढ़ाई की थी । जिस प्राइवेट स्कूल की डिसिप्लिन भरी लाइफ उसने जी थी उसे छोड़ अब वो सरकारी स्कूल की चकरा देने वाली जिंदगी को देख रहा था ।
आज भी मुझे याद है उसका वो पहला दिन वो यूं गुमसुम सा अपनी क्लास में बैठा था । सब जगह शोर और हलचल थी । सभी बच्चे अपने आप में मस्ती कर रहें थे । तभी उसकी जिंदगी में एक नए किरदार ने दस्तक दी ।
उसका नाम रूबीना था । वो बहुत अच्छी थी और जाने या अनजाने में इसकी जिंदगी में एक अहम रोल निभाने वाली थी । सानिया उसकी हर चीज में मदद करती अब चाहे वो इलेक्ट्रॉनिक्स वाली मैडम से उसको बचाना हो या अपना होमवर्क उसको कॉपी करवाना हो । वो हर चीज में उसका साथ देती थी । एक तरह से देखा जाय तो दोनो बहुत अच्छे दोस्त थे । और वो दोनो पड़ोसी भी थे। तो उनका साथ आना जाना होता रहता था ।
स्कूल में बैठ कर दोनो खूब हंसी मजाक करते , एक दूसरे की टांग खींचते और फिर खूब हंसते । रूबीना भी मानो उसको एक अच्छा दोस्त मानने लगी थी ।
यूं ही हंसी मजाक और ठिठोलियो के बीच एक साल गुजर गया । सब के सब अगली क्लास में पहुंच गए उसको क्या दिक्कत थी उसके लिए तो सभी वाली पुराने चेहरे थे जो पिछली बार उसके साथ थे ।
हां !
कुछ नए चेहरे भी शामिल थे उनमें । तभी एक दिन उसने उसे देखा
एक लड़की जो उसकी लाइन के बगल वाली लड़कियों की लाइन में बैठी थी बिल्कुल गुमसुम और अकेली ।
उसने बिना कुछ सोचे समझे उससे बात की और कहा
"हाय!! नए हो ! "
उसने थोड़ा कतरा कर जवाब दिया
"हां !"
उसने भी मानो यूं रोब में रूबीना से कहा
"इसका ध्यान रखना अभी नई है "
धीरे धीरे वो अपनी मस्तियों में खो गया
आखिर था तो बच्चा ही न
और वो लड़की रूबीना की सबसे खास दोस्त बन गई
उसे न इस चीज का इल्म था न ही परवाह की क्या हो रहा है । धीरे धीरे उन दोनो की मुलाकात रूबीना ने करवाई । क्युकी वो भी रूबीना की पड़ोसी थी । मतलब की वो भी उस लड़के की पड़ोसी थी । उसका नाम पहल था । कई बार वो तीनो साथ आते और जाते रूबीना और पहल दोनो ही उससे उम्र में बड़ी थी । थोड़ा समय और गुजर गया ।
सब समय था बोर्ड एग्जाम का परीक्षा से एक महीने पहले ही रूबीना अजीब सा बर्ताव करने लगी । वो चिड़चिड़ी हो गई । हर बार में गुस्सा करने लगी । उसने रूबीना से बात करना बंद कर दिया । पर पहल से उसकी कभी कभी बात हो जाती थी ।
तभी परीक्षाएं शुरू हुई और खत्म भी रूबीना फेल हो गई । पहल और वो पास हो कर अगली कक्षा में चले गए ।
वो दोनो अब भी दोस्त थे पर रूबीना ने दोनो से बात करना बंद कर दिया ।
अगली कक्षा में उसने बायोलॉजी लेने के मन बना लिया
और पहल ने पहले से ही ठान रखी थी की उसे बायोलॉजी ही लेनी है ।
पर कुछ पारिवारिक कारणों में कारण उसने आर्ट्स में दाखिला ले लिया।
पर पहल और उसकी दोस्ती और ज्यादा पक्की हो गई
भले ही पहल बायोलॉजी में थी पर दोनो रोज मिलते हंसी मजाक करते ।
उसे धीरे धीरे पहल पर क्रश होने लगा था । पर वो बोलने से बहुत डरता था उसे । इसी तरह एक दिन स्कूल भी खत्म हो गया ।
दोनो अपने अपने रास्तों पर चल दिए । पहल नर्सिंग करना चाहती थी तो उसने अपनी तैयारी शुरू कर दी ।
और वो पागल अपने कॉलेज का इंतजाम करने लगा । तभी लॉकडाउन का समय आ गया ।
सब कुछ मानो थम गया पहल की तैयारी और उसका कॉलेज जाने का सपना एक साल के लिए ठहर गया ।

next part on your demand
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© shadow