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" शुद्ध शाकाहारी "
" शुद्ध शाकाहारी "

आज का विषय उन समस्त लोगों के लिए है जो शाकाहारी भोजन की पींगे हांकते है..!

दूधारी पशु के दूध को हम भला कैसे शुद्ध शाकाहार में परिभाषित कर सकते हैं..?

हाड़ , मांस, मज्जा एवं रक्त से निर्मित जीव के शरीर से निकालने वाले पदार्थ में उसका अंश सौ प्रतिशत शामिल रहता है..!

इस दृष्टि से देखा जाए तो दूध , दही , छाछ , मक्खन, घी एवं उससे बने वाले तमाम पदार्थ मांसाहार की श्रेणी में ही हमेशा से आ रहा है..!
दही जिसे ब्राह्मणों द्वारा चाट-चाट कर खाया जाता है ना वो किटाणुओं द्वारा बनाया गया है..!

आयुर्वेद में जैसे कि कहा गया है कि ' शुद्ध घी ' जो गाय का हो वह हमारे शरीर में रक्त , हड्डियों एवं मज्जे का निर्माण करती है तथा शरीर को स्वस्थ रखने में सहायक होता है..।

घी सर्वश्रेष्ट आहार है जिसे नित्य आहार का हिस्सा बनाना चाहिए तो यह तभी संभव हुआ जब उसमें मौजूद पदार्थ पूर्णतया मांसाहार शरीर के अवशेषों से उत्पन्न हो..!

गाय हमारी ' माता ' है यह पंडितों द्वारा परिभाषित हो सकते हैं परन्तु विज्ञान की दृष्टि से बिल्कुल भी शाकाहारी भोजन नहीं है..!

गाय को माँ मान लिया इसीलिए सब विशुद्ध तत्व को तबीयत से खाने पीने लगे हो..!
वाह ग़ज़ब ढाए हो उसका मल-मूत्र सब खाए जाओ काहे अनाज , फल सब्जियों को खाते हो..?

अतः इस संसार में संभव ही नहीं है कि कोई भी अपने आप को शाकाहारी अथवा ब्राह्मणों की श्रेणी में रखें..!
तो ना ब्राह्मण और पंडित का ढप्पा लगाने की जरूरत नहीं है..!

यदि रत्ती भर भी दिमाग रखते हो और विज्ञान समझते हो तो इसकी तह तक जरूर पहुंचना..!

हिम्मत हो तो इस कटु सत्य को सारे संसार में स्वीकार भी करना..!
मानव की मानसिकता में अत्यंत संशोधन की आवश्यकता है..!

सबसे बहुमूल्य सच यह है कि हमारा शरीर खुद रक्त, हाड़, मज्जा एवं मांस द्वारा निर्मित है तो भला शाकाहारी कैसे हो गये..?

ब्राह्मणों को पूर्णतया घास फूस से निर्मित हुआ होना चाहिए था , तब तो शाकाहारी की परिभाषा सटीक बैठती..!

यह लेख किसी भी दृष्टि से चोट पहुंचाने के लिए नहीं लिखा गया है तर्क हमारे दिमाग में आया जो सत्य और तथ्य को दर्शाता है..!

🥀 teres@lways 🥀