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डर से धुंधला पन
ये कहानी नि हम सब की हकीकत है।
कुछ दिन पहले की बात है जब हमारे गाव मे मेला लगा था मे और मेरी सहेलीय सब घूमने गए वहा जाकर हमने झूलने का तय किया हम सब फिर सबसे बड़े झूले के पास लगी नाव मे बैठे गए चुकी सब जोश मे चड गए लेकिन जैसे ही नाव चालू हुई तो मेरी सारी दोस्त ने आँखे बन्द करली मैने भी सोच मुझे भी डर लगेगा तो मे भी करलुंगी पर मैने आँखे बन्द नहीं की क्योकि सबको डर ता देख मेरा डर खत्म होगया था और मे झूले से सारा नजारा देख रही थी जो बहुत ही खूबसूरत था बाकी सब आँखे बन्द करके चिल्ला रहे थे।
उसदिन एक बात समझ आई की अगर मे बाकी सब की तरह डर कर आखे बन्द कर लेती तो शायद आज इतना अच्छा नजारा मे नही देख पाती।
अक्सर लोग adventure trip पर जाते है और उचाई से खुद ते है पर जैसे ही नीचे आते है आँखे बन्द करके चिल्लाने लगते है।
अब इन सब से मे आपको ये बताना चाहती हु की जब हम डर जाते है तो अक्सर हम बहुत खूबसूरत चीज मिस कर देते है, डर के मारे न तो हम कुछ ठीक से देख पाते है न चल पाते है।
इसलिए ज़िंदगी मे जब भी कुछ करे पहले डर को एक तरफ करके करे।

nv