बिलकुल जंगली टेम्पो ड्राईवर.part 1
सूबह सूबह मै अपनी बेटी का स्कूल टिफ़िन पैक करने मे लगी थी और मेरे पती रवि बैठ के चाय की चुसकिया ले रहे थे।
"रवि तुम पिंकी को तैयार भी तो कर सकते हो, उसके स्कूल जाने के बाद चाय पी लेना," मै झुंझुलते हुऐ बोली।
मेरे पती सुनी अनसुनी करते हुऐ चाय पीते रहे और मै झुंझुलते हुऐ सभी काम निबटने मे लगी रही। किसी तरह पिंकी को तैयार किया और उसको जूते पहना रही थी की तभी उसके टेम्पो का हॉर्न सुनाई दिया। आ रही हू," मै बाल्कनी से झाक के बोली।
"चलो पिंकी फिर लेट हो रही हो," मै उसका हाथ पकड़ मे फ्लॅट से बाहर निकाल पड़ी।
मै सपना, एक 32 साल की हाउसवाइफ़ हू और मै अपनी 5 साल की बेटी पिंकी और पती रवि के साथ नोएडा के एक फ्लॅट मे रहती हू। सूबह सूबह रोज का यही रूटीन था और रोज ही हम लेट हो जाते और टेम्पो वाला हॉर्न पे हॉर्न मारता।मै जल्दी से पिंकी का हाथ पकड़ के सीढ़ियो से नीचे उतारने लगी, नीचे पहुँच के मुझे ध्यान आया की मै चुन्नी डालना तो भूल ही गयी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा की मेरी चूचिया सफ़ेद कुर्ते मे तन के खड़ी थी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। बाहर टेम्पो वाला हॉर्न मार रहा था।
"सूबह सूबह कौन देख रहा है," सोच के मै पिंकी को लेकर बाहर निकाल आई। टेम्पो मे पिंकी की उम्र के ही चार पाँच बच्चे बैठे हुऐ थे। मैडम आप रोज लेट कर देती है," वो तीखे स्वर मे बोला और फिर बोलते बोलते रुक गया, वो सीधा मेरी छातियो को घूर रहा था। मै जल्दी से पिंकी को टेम्पो मे बैठने लगी। मैंने कनखियो से देखा वो कमबखत मुझे घूरे जा रहा था। चुन्नी न होने से मेरी छातिया काफी गहराई तक दिख रही थी और सफ़ेद कुर्ते मे मेरे निप्पलेस भी चमक रहे थे। मै नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी और इसीलिए अपने हाथो से अपना सीना भी नहीं ढक पायी।मैडम, थोड़ा जल्दी आ जाया करे," इस बार वो बड़ी मिठास से बोला पर मुझे घूरना बंद नहीं किया।
"ठीक है, ठीक है," मै बोली और वो पिंकी का हाथ पकड़ के टेम्पो मे बैठा लिया। मै जल्दी से मुड़ के वापस चल दी, मुझे लग रहा था जैसे वो मुझे पीछे से भी घूर रहा हो। फ्लॅट मे पहुँच के मै रिलैक्स हुई तो महसूस किया की मेरी साँसे तेज चल रही थी। मै शीशे के सामने जा के अपने को देखा तो बहुत शर्म आई की मेरी चूचिया कितनी देखाई दे रही थी। साले टेम्पो वाले ने खूब आंखे सेक ली।इस छोटे से हादसे ने पूरे दिन मेरे बदन मे खलबली मचाये रखी। दिन भर टेम्पो वाले का वासना से तमतमाता हुआ चेहरा दिखता रहा और बार बार बदन मे सनसनी दौड़ जाती। मैंने महसूस किया की अपने पती के साथ कभी कभी का सेक्स एक रूटीन जैसा हो गया था और उसमे अब पहले जैसा मजा नहीं था। पर ये छोटा सा हादसा शरीर मे रोमांच भर गया।
दोपहर को जब पिंकी के आने का टाइम हुआ तो मेरे बदन के अजीब तरह को रोमच हो आया और मै अपने आप ही मेकअप कर के तयार हो गयी। मैंने एक टाइट जीन्स और टाइट टीशर्ट पहन ली। रोज जब हॉर्न बजता था तो मै पिंकी को नीचे लेने जाती थी। मै हॉर्न बजने का इंतजार करने लगी। टाइम हो गया था पर अभी तक टेम्पो नहीं आया था। तभी दरवाजे की घंटी बजी, मै चौक पड़ी की इस वक़्त कौन आया। दरवाजा खोला तो टेम्पो वाला पिंकी का हाथ पकड़ के खड़ा था।अरे आज हॉर्न नहीं बजाया," मै बोल पड़ी।
"ये लास्ट बच्चे को ड्रॉप करना था तो सोच की आपको क्यो तकलीफ दू, मै खुद ही फ्लॅट तक छोड़ देता हू," वो खीसे निपोरता हुआ बोला। मै समझ गयी की सूबह के नज़ारे के कारण ये फ्लॅट तक पहुच गया है।
पिंकी स्कूल बैग फेक के टीवी के सामने जम गयी। टेम्पो वाला दरवाजे पर खड़ा था और कनखियो से मुझे घूर रहा था। मेरे को अपने पे गर्व सा हुआ की मेरी एक झलक इसे दीवाना बना दे रही थी।
"धन्यवाद, पानी लोगे," मै साधारण शिस्टाचार के नाते बोली, तो वो तुरंत हाँ कहता हुआ अंदर आ गया।मैंने देखा की वो कोई चालीस पैंतालीस साल का आदमी था, पर था तक्ड़ा। मैंने उसे पानी दिया और वो पानी पीते पीते भी मुझे निहारता रहा। मेरा फिगर भी टाइट कपड़ो मे उभर के आ रही था।
"पिंकी बहुत ही अच्छी लड़की है, बिलकुल भी परेशान नहीं करती," वो बोलने लगा।
"अच्छा, मुझे तो बहुत परेशान करती है, अभी खाना खाने मे कितना नखरा करेगी, मुझे ही पता है।"
वो खीसे निपोरने लगा, फिर पानी पी कर गिलास मेरे हाथ मे पकड़ा दिया।
"अच्छा मै चलता हूँ," वो एसे उम्मीद से बोला जैसे मै उसको रुकने के लिए बोलुंगी।
उस दिन वो पानी पी के चला गया पर फिर रोज ही पिंकी को छोड़ने फ्लॅट तक आने लगा और हर रोज इधर उधर की बाते भी करने लगा। उसे देख के मुझे भी अच्छा लगता था, जब वो मेरे शरीर को कामुक नजरों से देखता तो मुझे रोमांच हो जाता था। मै भी रोज तयार हो के उसका इंतज़ार करती। मुझे पता ही नहीं चला की कब मै अपनी हदे पार करने लगी।उस दिन वो फ्लॅट के अंदर आ गया और मै पिंकी को खाना देने लगी तो वो रसोई के सामने ही कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी खाना ले के टीवी के सामने बैठ गयी और वो मेरे से बाते करने लगा। फ्लॅट का दरवाजा अंदर से बंद था, अब वो रोज ही कुछ देर बाते करने के बाद जाता था। अब उसकी बाते भी बोल्ड होती जा रही थी।मैडम आप जब जीन्स पहनती हो तो गज़ब लगती हो," वो बोला, "और आपके पती तो बहुत लकी है जो उनको आप जैसी बीवी मिली है।"
"अच्छा कैसे," मै मुसकुराते हुए बोली।
"क्योकि आपका आगा और पीछा दोनों उभर जाते है," वो बेशर्मी से बोला।
"धत, कैसे बात करता है," मै बोली, हालाकी मुझे भी उसकी ऐसी बातों मे मजा आता था।
"सलवार कुर्ते मै भी आप मस्त लगती हो पर जीन्स की तो बात ही क्या है, मेरे जैसे आदमी तो लाइन लगा के मरेगे," वो बेशरमों की तरह बोला, "आपके पती तो आपको रात भर छोड़ते नहीं होंगे।"
"हट," मै शर्मा गयी।
"उस दिन आप पार्टी मे जो लहंगा पहनी थी उसमे तो गज़ब लग रही थी," वो मेरे को मक्खन लगाता हुआ बोला। मै अंदर ही अंदर खुश होने लगी।
"सच, मैडम लहंगा पहन के दिखाओ न," वो बोला।
"अभी," मै अचरज से बोली।
"हाँ," वो जिद करने लगा।
मेरे शरीर मे सनसनी दौड़ने लगी, इस टेम्पो वाले के लिए मै फैशन परेड करुगी, सोच के ही अजीब सा लग रहा था।
वो जिद करने लगा, "लहंगा पहन के दिखाओ न।"
"पिंकी है,"
"तो क्या हुआ वो तो टीवी देखने मे मस्त है।"
मै अजीब तरह के जैसे नशे मे आ गयी थी और बेडरूम मे कपड़े बदलने चली गयी। मुझे उसके साथ इस तरह से फ़्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आने लगा था। वो मेरे पती जैसा संभ्रांत व्यक्ति नहीं था बल्कि लोअर तबके का अशिक्षित व्यक्ति था। वो मेरे प्रति अपनी भावनाओ को घूमा फिरा के नहीं व्यक्त करता था बल्कि सीधे सीधे उसकी वासना उसके चेहरे पर झलकती थी। जैसे ही मैंने कपड़े बदल के दरवाजा खोला वो अंदर ही आ गया।
वाह मैडम, क्या लग रही हो," वो अश्लील तरीके से बोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा।
"कैसे नदीदों की तरह घूर रहे हो, पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या," मै थोड़ा तेज स्वर मे बोली तो वो थोड़ा आचकचा गया, मुझे महसूस होने लगा की मै उसे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही हूँ।"मैडम... मैडम... आप तो बुरा मान गयी, आप जैसी सुंदर लड़की मैंने पहले कभी नहीं देखी," वो तुरंत तमीज मे आ के बात करने लगा, तो मै भी नर्म पड गयी।
"मैडम, पीछे घूम के दिखाओ न," वो मिन्नत सी करता हुआ बोला तो मुझे हंसी आ गयी।
"अब तुम्हारे लिए क्या फैशन परेड करूँ," मै नकली नाराजगी दिखते हुए बोली।"प्लीज मैडम, प्लीज," वो फिर जिद करने लगा।
मेरे बदन मे फिर से सनसनी दौड़ने लगी और मै घूम के अपना बदन उसे दिखाने लगी।
"अहह क्या बात है," वो सिसकारी भरता हुआ बोला, "आपकी कमर का कट और पीछे का उभार बड़ा गज़ब का है," वो सावधानीपूर्वक शब्दो का चयन करता हुआ तमीज से बोला, कहीं मै नाराज़ न हो जाऊ।
मुझे उसकी निगाहे अपने पिछवाड़े मे गड़ती हुई महसूस हो रही थी, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, थोड़ी देर मे मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया,
"मैडम प्लीज थोड़ी देर और देखने दो न," वो धीरे से मेरे कान मे फुसफुसाया तो मै अपनी जगह जड़ खड़ी रह गयी। वो मेरे इतने करीब खड़ा था की उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी। उसका कंधे पर रखा हुआ हाथ एसा महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी पत्थर रखा हो। तभी वो अपनी हथेली मेरी गांड पर रख दिया और कंधे पर रखा हुआ हाथ मेरे गले मे पिरो के मुझे अपनी बाहो मे समेट लिया।
"अहह, अह, मनोज," मुझे पता था ये सब गलत हो रहा है पर मुझ पर इतनी कामोतेजक खुमारी चढ़ गयी की मै अपना सर उसकी छाती पर टीका के आंखे बंद कर ली। जैसे कबूतर आंखे बंद करके सोचता है की बिल्ली उसे नहीं देख पाएगी वैसे ही मै आंखे बंद करके सोच रही थी की सब सही हो जाएगा। पर मै कबूतरी तो बिल्ली के पंजो मे दबी हुई थी।वो समझ गया था की यही मौका है कबूतरी के शिकार का, उसके हाथ तेजी से चलने लगे और मेरी साँसे। वो तेजी से मेरी गांड मसलने के बाद मेरे लहंगे का हुक खोल दिया और लहंगा एक तिरस्कृत वस्तु की तरह मेरे कदमो मे जा गिरा। मुझे अपने स्तनो मे एक टीस सी महसूस हुई तो मैने अदखुली आंखो से देखा की मेरा ब्लाउज़ दरवाजे के पल्लो की तरह चौपट खुला हुआ था और मेरा एक दूधिया उरोज उसके शिकंजे मे जकड़ा हुआ था।
"आहह... अह... छोड़ो... अहह... मनोज... अम्म... छोड़ दो प्लीज... अहह।"
"मैडम, जिस दिन से मैंने इन तनी हुई चूचियो की झलक देखी थी उसी दिन से इन्हे अपने हाथो से मसलने की तमन्ना थी," वो भर्राई आवाज मे बोला, "बहुत तनी हुई और टाइट है, तुम्हारे पती ने ढंग से नहीं रगड़ा क्या, आज मल मल के नरम कर दूँगा।""मनोज... नहीं... प्लीज," मैने कमजोर सी आवाज मे औपचारिकतावश विरोध किया पर अंदर से उम्मीद थी की वो आज मेरे को एक असली मर्द की तरह रगड़ डाले। मैंने अपनी सहेलियों से कई बार सुना था की उनके पती उन्हे कई बार जोश मे इतनी ज़ोर से चूचियो को मसल डालते की चीखे निकल जाती है दर्द के मारे। पर मेरे पती ने कभी भी इतना ज़ोर नहीं दिखाया और मै हमेशा अपनी सहेलियों से पूछती की क्यो वो अपने पती को एसा करने देती है तो वे हंसने लगती और कहती की मज़ा भी तो आता है। आज जिस तरह से मनोज ने मेरे स्तन को जकड़ा हुआ था मुझे लग रहा था की मुझे उस दर्द या मज़े का अनुभव मिलने वाला है।"मनोज, पिंकी बाहर वाले कमरे मे है," मै फुसफुसाई।
"तो दरवाजा बंद कर देते है," वो एक हाथ बढ़ा के दरवाजे की कुंडी लगा दिया और मुझे बिस्तर के समीप ले आया।
वो मुझे अपनी और घूमा लिया और मेरे अर्धनग्न बदन को निहारते हुए बोला, "मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी हो, एकदम बेदाग गोरी गोरी, होंट बिना लिपस्टिक के भी गुलाबी।" वो मेरा चेहरा उठा के मेरे होंटो को चूमने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड़ पे रख दिया। पैंट के ऊपर से ही मुझे उसके बड़े लंड़ का अहसास होने लगा।मेरे अंदर अब कोई संशय नहीं रह गया था, मै अब तैयार थी उसे अपना शरीर सौपने को और इस अनैतिक सुख को भोगने को।
मै उसकी ज़िप खोल के अंडरवीअर के अंदर हाथ घुसा दी। मोटा गरम गरम लंड़ मेरी हथेली मे आ गया। मेरे दिल धाड़ धाड़ करके मेरे सीने मे बजने लगा। एक सेकंड से भी कम समय मे मेरे मस्तिष्क मे सैकड़ो विचार घूम गए, मै किसी गैर मर्द का लंड हाथ मे पकड़े हूँ, मेरे पती का चेहरा मेरी आंखो के सामने नाच गया, अगर पती देख ले तो गज़ब हो जाएगा। पर मै सब विचारो को झटक के उसके लंड़ को सहलाने लगी।
"अहहम," मनोज और जोश मे भर के मेरे होंटो को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिरने लगी तो मै अपना मुह खोल के उसे अंदर का रास्ता दे दी, दोनों एक दूसरे के होंटो और जीभ को चूमने चाटने लगे। मनोज चूमने के साथ साथ मेरी चूचियो को भी मसलता रहा और मै उसके लंड को सहलाती रही और उसकी खाल को आगे पीछे करती रही।
"चलो बिस्तर पर लेटो अब और सारे कपड़े उतार दो," वो मुझे बिस्तर की तरफ ठेलता हुआ बोला। मै बिस्तर पर चित पड़ गयी और अपनी ब्रा पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा की वो जल्दी जल्दी नंगा हो गया और अपना तना हुआ मोटा लंड एक हाथ मे पकड़ के बिस्तर पर चढ़ गया। कुछ पल वो मेरे नंगे जिस्म को घूरता रहा।"क्या देख रहे हो।"
"यकीन नहीं हो रहा की इतने बड़े साहब की बीवी, ऐसे नंगी होके एक टेम्पो ड्राईवर का लंड लेने को लेटी है।"
"अहम्म।" मै उसकी बेबाक बात सुन के लाल हो गयी, "कुत्ते।"
वो अपनी टाँगे मेरे दोनों ओर डाल के मेरे ऊपर चढ़ गया।
"उल्टी हो जा, तेरी चूचियो से शुरू करता हूँ," वो अब मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था। मेरे को बहुत शिद्दत से एहसास होने लगा की मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मै शिकायती लहजे मे उसे देखने लगी पर ऊस पे कोई असर नहीं हुआ। वो मेरे को आसानी से उल्टा लिटा के मेरे ऊपर पसर गया। उसके दोनों हाथ मेरे स्तनो को अपने लौहपाश मे जकड़ लिए और निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच।
"आहह... हाय मम्मी मर जाऊँगी," मै ज़ोर से छटपटाने लगी।"क्या हुआ सपना," वो फुसफुसाया पर उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई।
"इतने ज़ोर से नहीं," मै सिसकारी भरते हुए बोली।
"अभी ज़ोर लगाया कहाँ है," वो बोला, "पहले कभी चूचिया किसी मर्द से रगड़वाई नहीं है क्या।"
बिलकुल जंगली टेम्पो ड्राईवर
सूबह सूबह मै अपनी बेटी का स्कूल टिफ़िन पैक करने मे लगी थी और मेरे पती रवि बैठ के चाय की चुसकिया ले रहे थे।
"रवि तुम पिंकी को तैयार भी तो कर सकते हो, उसके स्कूल जाने के बाद चाय पी लेना," मै झुंझुलते हुऐ बोली।
मेरे पती सुनी अनसुनी करते हुऐ चाय पीते रहे और मै झुंझुलते हुऐ सभी काम निबटने मे लगी रही। किसी तरह पिंकी को तैयार किया और उसको जूते पहना रही थी की तभी उसके टेम्पो का हॉर्न सुनाई दिया।
"आ रही हू," मै बाल्कनी से झाक के बोली।
"चलो पिंकी फिर लेट हो रही हो," मै उसका हाथ पकड़ मे फ्लॅट से बाहर निकाल पड़ी।
मै सपना, एक 32 साल की हाउसवाइफ़ हू और मै अपनी 5 साल की बेटी पिंकी और पती रवि के साथ नोएडा के एक फ्लॅट मे रहती हू। सूबह सूबह रोज का यही रूटीन था और रोज ही हम लेट हो जाते और टेम्पो वाला हॉर्न पे हॉर्न मारता।
मै जल्दी से पिंकी का हाथ पकड़ के सीढ़ियो से नीचे उतारने लगी, नीचे पहुँच के मुझे ध्यान आया की मै चुन्नी डालना तो भूल ही गयी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा की मेरी चूचिया सफ़ेद कुर्ते मे तन के खड़ी थी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। बाहर टेम्पो वाला हॉर्न मार रहा था।
"सूबह सूबह कौन देख रहा है," सोच के मै पिंकी को लेकर बाहर निकाल आई। टेम्पो मे पिंकी की उम्र के ही चार पाँच बच्चे बैठे हुऐ थे।
"मैडम आप रोज लेट कर देती है," वो तीखे स्वर मे बोला और फिर बोलते बोलते रुक गया, वो सीधा मेरी छातियो को घूर रहा था।
मै जल्दी से पिंकी को टेम्पो मे बैठने लगी। मैंने कनखियो से देखा वो कमबखत मुझे घूरे जा रहा था। चुन्नी न होने से मेरी छातिया काफी गहराई तक दिख रही थी और सफ़ेद कुर्ते मे मेरे निप्पलेस भी चमक रहे थे। मै नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी और इसीलिए अपने हाथो से अपना सीना भी नहीं ढक पायी।
"मैडम, थोड़ा जल्दी आ जाया करे," इस बार वो बड़ी मिठास से बोला पर मुझे घूरना बंद नहीं किया।
"ठीक है, ठीक है," मै बोली और वो पिंकी का हाथ पकड़ के टेम्पो मे बैठा लिया। मै जल्दी से मुड़ के वापस चल दी, मुझे लग रहा था जैसे वो मुझे पीछे से भी घूर रहा हो।
फ्लॅट मे पहुँच के मै रिलैक्स हुई तो महसूस किया की मेरी साँसे तेज चल रही थी। मै शीशे के सामने जा के अपने को देखा तो बहुत शर्म आई की मेरी चूचिया कितनी देखाई दे रही थी। साले टेम्पो वाले ने खूब आंखे सेक ली।
इस छोटे से हादसे ने पूरे दिन मेरे बदन मे खलबली मचाये रखी। दिन भर टेम्पो वाले का वासना से तमतमाता हुआ चेहरा दिखता रहा और बार बार बदन मे सनसनी दौड़ जाती। मैंने महसूस किया की अपने पती के साथ कभी कभी का सेक्स एक रूटीन जैसा हो गया था और उसमे अब पहले जैसा मजा नहीं था। पर ये छोटा सा हादसा शरीर मे रोमांच भर गया।
दोपहर को जब पिंकी के आने का टाइम हुआ तो मेरे बदन के अजीब तरह को रोमच हो आया और मै अपने आप ही मेकअप कर के तयार हो गयी। मैंने एक टाइट जीन्स और टाइट टीशर्ट पहन ली। रोज जब हॉर्न बजता था तो मै पिंकी को नीचे लेने जाती थी। मै हॉर्न बजने का इंतजार करने लगी।
टाइम हो गया था पर अभी तक टेम्पो नहीं आया था। तभी दरवाजे की घंटी बजी, मै चौक पड़ी की इस वक़्त कौन आया। दरवाजा खोला तो टेम्पो वाला पिंकी का हाथ पकड़ के खड़ा था।
"अरे आज हॉर्न नहीं बजाया," मै बोल पड़ी।
"ये लास्ट बच्चे को ड्रॉप करना था तो सोच की आपको क्यो तकलीफ दू, मै खुद ही फ्लॅट तक छोड़ देता हू," वो खीसे निपोरता हुआ बोला। मै समझ गयी की सूबह के नज़ारे के कारण ये फ्लॅट तक पहुच गया है।
पिंकी स्कूल बैग फेक के टीवी के सामने जम गयी। टेम्पो वाला दरवाजे पर खड़ा था और कनखियो से मुझे घूर रहा था। मेरे को अपने पे गर्व सा हुआ की मेरी एक झलक इसे दीवाना बना दे रही थी।
"धन्यवाद, पानी लोगे," मै साधारण शिस्टाचार के नाते बोली, तो वो तुरंत हाँ कहता हुआ अंदर आ गया।
मैंने देखा की वो कोई चालीस पैंतालीस साल का आदमी था, पर था तक्ड़ा। मैंने उसे पानी दिया और वो पानी पीते पीते भी मुझे निहारता रहा। मेरा फिगर भी टाइट कपड़ो मे उभर के आ रही था।
"पिंकी बहुत ही अच्छी लड़की है, बिलकुल भी परेशान नहीं करती," वो बोलने लगा।
"अच्छा, मुझे तो बहुत परेशान करती है, अभी खाना खाने मे कितना नखरा करेगी, मुझे ही पता है।"
वो खीसे निपोरने लगा, फिर पानी पी कर गिलास मेरे हाथ मे पकड़ा दिया।
"अच्छा मै चलता हूँ," वो एसे उम्मीद से बोला जैसे मै उसको रुकने के लिए बोलुंगी।
उस दिन वो पानी पी के चला गया पर फिर रोज ही पिंकी को छोड़ने फ्लॅट तक आने लगा और हर रोज इधर उधर की बाते भी करने लगा। उसे देख के मुझे भी अच्छा लगता था, जब वो मेरे शरीर को कामुक नजरों से देखता तो मुझे रोमांच हो जाता था। मै भी रोज तयार हो के उसका इंतज़ार करती। मुझे पता ही नहीं चला की कब मै अपनी हदे पार करने लगी।
उस दिन वो फ्लॅट के अंदर आ गया और मै पिंकी को खाना देने लगी तो वो रसोई के सामने ही कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी खाना ले के टीवी के सामने बैठ गयी और वो मेरे से बाते करने लगा। फ्लॅट का दरवाजा अंदर से बंद था, अब वो रोज ही कुछ देर बाते करने के बाद जाता था। अब उसकी बाते भी बोल्ड होती जा रही थी।
Last edited: May 9, 2024
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Ting ting
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Feb 14, 2023
#2
"मैडम आप जब जीन्स पहनती हो तो गज़ब लगती हो," वो बोला, "और आपके पती तो बहुत लकी है जो उनको आप जैसी बीवी मिली है।"
"अच्छा कैसे," मै मुसकुराते हुए बोली।
"क्योकि आपका आगा और पीछा दोनों उभर जाते है," वो बेशर्मी से बोला।
"धत, कैसे बात करता है," मै बोली, हालाकी मुझे भी उसकी ऐसी बातों मे मजा आता था।
"सलवार कुर्ते मै भी आप मस्त लगती हो पर जीन्स की तो बात ही क्या है, मेरे जैसे आदमी तो लाइन लगा के मरेगे," वो बेशरमों की तरह बोला, "आपके पती तो आपको रात भर छोड़ते नहीं होंगे।"
"हट," मै शर्मा गयी।
"उस दिन आप पार्टी मे जो लहंगा पहनी थी उसमे तो गज़ब लग रही थी," वो मेरे को मक्खन लगाता हुआ बोला। मै अंदर ही अंदर खुश होने लगी।
"सच, मैडम लहंगा पहन के दिखाओ न," वो बोला।
"अभी," मै अचरज से बोली।
"हाँ," वो जिद करने लगा।
मेरे शरीर मे सनसनी दौड़ने लगी, इस टेम्पो वाले के लिए मै फैशन परेड करुगी, सोच के ही अजीब सा लग रहा था।
वो जिद करने लगा, "लहंगा पहन के दिखाओ न।"
"पिंकी है,"
"तो क्या हुआ वो तो टीवी देखने मे मस्त है।"
मै अजीब तरह के जैसे नशे मे आ गयी थी और बेडरूम मे कपड़े बदलने चली गयी। मुझे उसके साथ इस तरह से फ़्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आने लगा था। वो मेरे पती जैसा संभ्रांत व्यक्ति नहीं था बल्कि लोअर तबके का अशिक्षित व्यक्ति था। वो मेरे प्रति अपनी भावनाओ को घूमा फिरा के नहीं व्यक्त करता था बल्कि सीधे सीधे उसकी वासना उसके चेहरे पर झलकती थी। जैसे ही मैंने कपड़े बदल के दरवाजा खोला वो अंदर ही आ गया।
"वाह मैडम, क्या लग रही हो," वो अश्लील तरीके से बोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा।
"कैसे नदीदों की तरह घूर रहे हो, पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या," मै थोड़ा तेज स्वर मे बोली तो वो थोड़ा आचकचा गया, मुझे महसूस होने लगा की मै उसे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही हूँ।
"मैडम... मैडम... आप तो बुरा मान गयी, आप जैसी सुंदर लड़की मैंने पहले कभी नहीं देखी," वो तुरंत तमीज मे आ के बात करने लगा, तो मै भी नर्म पड गयी।
"मैडम, पीछे घूम के दिखाओ न," वो मिन्नत सी करता हुआ बोला तो मुझे हंसी आ गयी।
"अब तुम्हारे लिए क्या फैशन परेड करूँ," मै नकली नाराजगी दिखते हुए बोली।
"प्लीज मैडम, प्लीज," वो फिर जिद करने लगा।
मेरे बदन मे फिर से सनसनी दौड़ने लगी और मै घूम के अपना बदन उसे दिखाने लगी।
"अहह क्या बात है," वो सिसकारी भरता हुआ बोला, "आपकी कमर का कट और पीछे का उभार बड़ा गज़ब का है," वो सावधानीपूर्वक शब्दो का चयन करता हुआ तमीज से बोला, कहीं मै नाराज़ न हो जाऊ।
मुझे उसकी निगाहे अपने पिछवाड़े मे गड़ती हुई महसूस हो रही थी, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, थोड़ी देर मे मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया,
"मैडम प्लीज थोड़ी देर और देखने दो न," वो धीरे से मेरे कान मे फुसफुसाया तो मै अपनी जगह जड़ खड़ी रह गयी। वो मेरे इतने करीब खड़ा था की उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी। उसका कंधे पर रखा हुआ हाथ एसा महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी पत्थर रखा हो। तभी वो अपनी हथेली मेरी गांड पर रख दिया और कंधे पर रखा हुआ हाथ मेरे गले मे पिरो के मुझे अपनी बाहो मे समेट लिया।
"अहह, अह, मनोज," मुझे पता था ये सब गलत हो रहा है पर मुझ पर इतनी कामोतेजक खुमारी चढ़ गयी की मै अपना सर उसकी छाती पर टीका के आंखे बंद कर ली। जैसे कबूतर आंखे बंद करके सोचता है की बिल्ली उसे नहीं देख पाएगी वैसे ही मै आंखे बंद करके सोच रही थी की सब सही हो जाएगा। पर मै कबूतरी तो बिल्ली के पंजो मे दबी हुई थी।
वो समझ गया था की यही मौका है कबूतरी के शिकार का, उसके हाथ तेजी से चलने लगे और मेरी साँसे। वो तेजी से मेरी गांड मसलने के बाद मेरे लहंगे का हुक खोल दिया और लहंगा एक तिरस्कृत वस्तु की तरह मेरे कदमो मे जा गिरा। मुझे अपने स्तनो मे एक टीस सी महसूस हुई तो मैने अदखुली आंखो से देखा की मेरा ब्लाउज़ दरवाजे के पल्लो की तरह चौपट खुला हुआ था और मेरा एक दूधिया उरोज उसके शिकंजे मे जकड़ा हुआ था।
"आहह... अह... छोड़ो... अहह... मनोज... अम्म... छोड़ दो प्लीज... अहह।"
"मैडम, जिस दिन से मैंने इन तनी हुई चूचियो की झलक देखी थी उसी दिन से इन्हे अपने हाथो से मसलने की तमन्ना थी," वो भर्राई आवाज मे बोला, "बहुत तनी हुई और टाइट है, तुम्हारे पती ने ढंग से नहीं रगड़ा क्या, आज मल मल के नरम कर दूँगा।"
"मनोज... नहीं... प्लीज," मैने कमजोर सी आवाज मे औपचारिकतावश विरोध किया पर अंदर से उम्मीद थी की वो आज मेरे को एक असली मर्द की तरह रगड़ डाले। मैंने अपनी सहेलियों से कई बार सुना था की उनके पती उन्हे कई बार जोश मे इतनी ज़ोर से चूचियो को मसल डालते की चीखे निकल जाती है दर्द के मारे। पर मेरे पती ने कभी भी इतना ज़ोर नहीं दिखाया और मै हमेशा अपनी सहेलियों से पूछती की क्यो वो अपने पती को एसा करने देती है तो वे हंसने लगती और कहती की मज़ा भी तो आता है। आज जिस तरह से मनोज ने मेरे स्तन को जकड़ा हुआ था मुझे लग रहा था की मुझे उस दर्द या मज़े का अनुभव मिलने वाला है।
"मनोज, पिंकी बाहर वाले कमरे मे है," मै फुसफुसाई।
"तो दरवाजा बंद कर देते है," वो एक हाथ बढ़ा के दरवाजे की कुंडी लगा दिया और मुझे बिस्तर के समीप ले आया।
वो मुझे अपनी और घूमा लिया और मेरे अर्धनग्न बदन को निहारते हुए बोला, "मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी हो, एकदम बेदाग गोरी गोरी, होंट बिना लिपस्टिक के भी गुलाबी।" वो मेरा चेहरा उठा के मेरे होंटो को चूमने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड़ पे रख दिया। पैंट के ऊपर से ही मुझे उसके बड़े लंड़ का अहसास होने लगा।
मेरे अंदर अब कोई संशय नहीं रह गया था, मै अब तैयार थी उसे अपना शरीर सौपने को और इस अनैतिक सुख को भोगने को।
मै उसकी ज़िप खोल के अंडरवीअर के अंदर हाथ घुसा दी। मोटा गरम गरम लंड़ मेरी हथेली मे आ गया। मेरे दिल धाड़ धाड़ करके मेरे सीने मे बजने लगा। एक सेकंड से भी कम समय मे मेरे मस्तिष्क मे सैकड़ो विचार घूम गए, मै किसी गैर मर्द का लंड हाथ मे पकड़े हूँ, मेरे पती का चेहरा मेरी आंखो के सामने नाच गया, अगर पती देख ले तो गज़ब हो जाएगा। पर मै सब विचारो को झटक के उसके लंड़ को सहलाने लगी।
Last edited: May 9, 2024
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बेटी का हलाला अपने ही बाप के साथ
विधुर बाप का दुःख दूर किया
आखिर माँ ने मुझे रोक ही लिया
बिलकुल जंगली टेम्पो ड्राईवर
मासूम माँ से खेल खेल में चुदाई
आखिर पापा से चुदवा लिया मैंने
माँ बेटे का प्यार और संस्कार
चूत मेँ दर्द मामा ने लंड से दूर किया
मेरी चुदाई मेरे ससुर के साथ
चूत में घुसी चींटी ने मां चुदवा दी
पापा की मालिश
माँ के साथ मस्ती
आखिर पापा से मजा ले ही लिया मैंने
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Feb 14, 2023
#3
"अहहम," मनोज और जोश मे भर के मेरे होंटो को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिरने लगी तो मै अपना मुह खोल के उसे अंदर का रास्ता दे दी, दोनों एक दूसरे के होंटो और जीभ को चूमने चाटने लगे। मनोज चूमने के साथ साथ मेरी चूचियो को भी मसलता रहा और मै उसके लंड को सहलाती रही और उसकी खाल को आगे पीछे करती रही।
"चलो बिस्तर पर लेटो अब और सारे कपड़े उतार दो," वो मुझे बिस्तर की तरफ ठेलता हुआ बोला। मै बिस्तर पर चित पड़ गयी और अपनी ब्रा पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा की वो जल्दी जल्दी नंगा हो गया और अपना तना हुआ मोटा लंड एक हाथ मे पकड़ के बिस्तर पर चढ़ गया। कुछ पल वो मेरे नंगे जिस्म को घूरता रहा।
"क्या देख रहे हो।"
"यकीन नहीं हो रहा की इतने बड़े साहब की बीवी, ऐसे नंगी होके एक टेम्पो ड्राईवर का लंड लेने को लेटी है।"
"अहम्म।" मै उसकी बेबाक बात सुन के लाल हो गयी, "कुत्ते।"
वो अपनी टाँगे मेरे दोनों ओर डाल के मेरे ऊपर चढ़ गया।
"उल्टी हो जा, तेरी चूचियो से शुरू करता हूँ," वो अब मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था। मेरे को बहुत शिद्दत से एहसास होने लगा की मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मै शिकायती लहजे मे उसे देखने लगी पर ऊस पे कोई असर नहीं हुआ। वो मेरे को आसानी से उल्टा लिटा के मेरे ऊपर पसर गया। उसके दोनों हाथ मेरे स्तनो को अपने लौहपाश मे जकड़ लिए और निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच।
"आहह... हाय मम्मी मर जाऊँगी," मै ज़ोर से छटपटाने लगी।
"क्या हुआ सपना," वो फुसफुसाया पर उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई।
© fsagas
"रवि तुम पिंकी को तैयार भी तो कर सकते हो, उसके स्कूल जाने के बाद चाय पी लेना," मै झुंझुलते हुऐ बोली।
मेरे पती सुनी अनसुनी करते हुऐ चाय पीते रहे और मै झुंझुलते हुऐ सभी काम निबटने मे लगी रही। किसी तरह पिंकी को तैयार किया और उसको जूते पहना रही थी की तभी उसके टेम्पो का हॉर्न सुनाई दिया। आ रही हू," मै बाल्कनी से झाक के बोली।
"चलो पिंकी फिर लेट हो रही हो," मै उसका हाथ पकड़ मे फ्लॅट से बाहर निकाल पड़ी।
मै सपना, एक 32 साल की हाउसवाइफ़ हू और मै अपनी 5 साल की बेटी पिंकी और पती रवि के साथ नोएडा के एक फ्लॅट मे रहती हू। सूबह सूबह रोज का यही रूटीन था और रोज ही हम लेट हो जाते और टेम्पो वाला हॉर्न पे हॉर्न मारता।मै जल्दी से पिंकी का हाथ पकड़ के सीढ़ियो से नीचे उतारने लगी, नीचे पहुँच के मुझे ध्यान आया की मै चुन्नी डालना तो भूल ही गयी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा की मेरी चूचिया सफ़ेद कुर्ते मे तन के खड़ी थी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। बाहर टेम्पो वाला हॉर्न मार रहा था।
"सूबह सूबह कौन देख रहा है," सोच के मै पिंकी को लेकर बाहर निकाल आई। टेम्पो मे पिंकी की उम्र के ही चार पाँच बच्चे बैठे हुऐ थे। मैडम आप रोज लेट कर देती है," वो तीखे स्वर मे बोला और फिर बोलते बोलते रुक गया, वो सीधा मेरी छातियो को घूर रहा था। मै जल्दी से पिंकी को टेम्पो मे बैठने लगी। मैंने कनखियो से देखा वो कमबखत मुझे घूरे जा रहा था। चुन्नी न होने से मेरी छातिया काफी गहराई तक दिख रही थी और सफ़ेद कुर्ते मे मेरे निप्पलेस भी चमक रहे थे। मै नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी और इसीलिए अपने हाथो से अपना सीना भी नहीं ढक पायी।मैडम, थोड़ा जल्दी आ जाया करे," इस बार वो बड़ी मिठास से बोला पर मुझे घूरना बंद नहीं किया।
"ठीक है, ठीक है," मै बोली और वो पिंकी का हाथ पकड़ के टेम्पो मे बैठा लिया। मै जल्दी से मुड़ के वापस चल दी, मुझे लग रहा था जैसे वो मुझे पीछे से भी घूर रहा हो। फ्लॅट मे पहुँच के मै रिलैक्स हुई तो महसूस किया की मेरी साँसे तेज चल रही थी। मै शीशे के सामने जा के अपने को देखा तो बहुत शर्म आई की मेरी चूचिया कितनी देखाई दे रही थी। साले टेम्पो वाले ने खूब आंखे सेक ली।इस छोटे से हादसे ने पूरे दिन मेरे बदन मे खलबली मचाये रखी। दिन भर टेम्पो वाले का वासना से तमतमाता हुआ चेहरा दिखता रहा और बार बार बदन मे सनसनी दौड़ जाती। मैंने महसूस किया की अपने पती के साथ कभी कभी का सेक्स एक रूटीन जैसा हो गया था और उसमे अब पहले जैसा मजा नहीं था। पर ये छोटा सा हादसा शरीर मे रोमांच भर गया।
दोपहर को जब पिंकी के आने का टाइम हुआ तो मेरे बदन के अजीब तरह को रोमच हो आया और मै अपने आप ही मेकअप कर के तयार हो गयी। मैंने एक टाइट जीन्स और टाइट टीशर्ट पहन ली। रोज जब हॉर्न बजता था तो मै पिंकी को नीचे लेने जाती थी। मै हॉर्न बजने का इंतजार करने लगी। टाइम हो गया था पर अभी तक टेम्पो नहीं आया था। तभी दरवाजे की घंटी बजी, मै चौक पड़ी की इस वक़्त कौन आया। दरवाजा खोला तो टेम्पो वाला पिंकी का हाथ पकड़ के खड़ा था।अरे आज हॉर्न नहीं बजाया," मै बोल पड़ी।
"ये लास्ट बच्चे को ड्रॉप करना था तो सोच की आपको क्यो तकलीफ दू, मै खुद ही फ्लॅट तक छोड़ देता हू," वो खीसे निपोरता हुआ बोला। मै समझ गयी की सूबह के नज़ारे के कारण ये फ्लॅट तक पहुच गया है।
पिंकी स्कूल बैग फेक के टीवी के सामने जम गयी। टेम्पो वाला दरवाजे पर खड़ा था और कनखियो से मुझे घूर रहा था। मेरे को अपने पे गर्व सा हुआ की मेरी एक झलक इसे दीवाना बना दे रही थी।
"धन्यवाद, पानी लोगे," मै साधारण शिस्टाचार के नाते बोली, तो वो तुरंत हाँ कहता हुआ अंदर आ गया।मैंने देखा की वो कोई चालीस पैंतालीस साल का आदमी था, पर था तक्ड़ा। मैंने उसे पानी दिया और वो पानी पीते पीते भी मुझे निहारता रहा। मेरा फिगर भी टाइट कपड़ो मे उभर के आ रही था।
"पिंकी बहुत ही अच्छी लड़की है, बिलकुल भी परेशान नहीं करती," वो बोलने लगा।
"अच्छा, मुझे तो बहुत परेशान करती है, अभी खाना खाने मे कितना नखरा करेगी, मुझे ही पता है।"
वो खीसे निपोरने लगा, फिर पानी पी कर गिलास मेरे हाथ मे पकड़ा दिया।
"अच्छा मै चलता हूँ," वो एसे उम्मीद से बोला जैसे मै उसको रुकने के लिए बोलुंगी।
उस दिन वो पानी पी के चला गया पर फिर रोज ही पिंकी को छोड़ने फ्लॅट तक आने लगा और हर रोज इधर उधर की बाते भी करने लगा। उसे देख के मुझे भी अच्छा लगता था, जब वो मेरे शरीर को कामुक नजरों से देखता तो मुझे रोमांच हो जाता था। मै भी रोज तयार हो के उसका इंतज़ार करती। मुझे पता ही नहीं चला की कब मै अपनी हदे पार करने लगी।उस दिन वो फ्लॅट के अंदर आ गया और मै पिंकी को खाना देने लगी तो वो रसोई के सामने ही कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी खाना ले के टीवी के सामने बैठ गयी और वो मेरे से बाते करने लगा। फ्लॅट का दरवाजा अंदर से बंद था, अब वो रोज ही कुछ देर बाते करने के बाद जाता था। अब उसकी बाते भी बोल्ड होती जा रही थी।मैडम आप जब जीन्स पहनती हो तो गज़ब लगती हो," वो बोला, "और आपके पती तो बहुत लकी है जो उनको आप जैसी बीवी मिली है।"
"अच्छा कैसे," मै मुसकुराते हुए बोली।
"क्योकि आपका आगा और पीछा दोनों उभर जाते है," वो बेशर्मी से बोला।
"धत, कैसे बात करता है," मै बोली, हालाकी मुझे भी उसकी ऐसी बातों मे मजा आता था।
"सलवार कुर्ते मै भी आप मस्त लगती हो पर जीन्स की तो बात ही क्या है, मेरे जैसे आदमी तो लाइन लगा के मरेगे," वो बेशरमों की तरह बोला, "आपके पती तो आपको रात भर छोड़ते नहीं होंगे।"
"हट," मै शर्मा गयी।
"उस दिन आप पार्टी मे जो लहंगा पहनी थी उसमे तो गज़ब लग रही थी," वो मेरे को मक्खन लगाता हुआ बोला। मै अंदर ही अंदर खुश होने लगी।
"सच, मैडम लहंगा पहन के दिखाओ न," वो बोला।
"अभी," मै अचरज से बोली।
"हाँ," वो जिद करने लगा।
मेरे शरीर मे सनसनी दौड़ने लगी, इस टेम्पो वाले के लिए मै फैशन परेड करुगी, सोच के ही अजीब सा लग रहा था।
वो जिद करने लगा, "लहंगा पहन के दिखाओ न।"
"पिंकी है,"
"तो क्या हुआ वो तो टीवी देखने मे मस्त है।"
मै अजीब तरह के जैसे नशे मे आ गयी थी और बेडरूम मे कपड़े बदलने चली गयी। मुझे उसके साथ इस तरह से फ़्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आने लगा था। वो मेरे पती जैसा संभ्रांत व्यक्ति नहीं था बल्कि लोअर तबके का अशिक्षित व्यक्ति था। वो मेरे प्रति अपनी भावनाओ को घूमा फिरा के नहीं व्यक्त करता था बल्कि सीधे सीधे उसकी वासना उसके चेहरे पर झलकती थी। जैसे ही मैंने कपड़े बदल के दरवाजा खोला वो अंदर ही आ गया।
वाह मैडम, क्या लग रही हो," वो अश्लील तरीके से बोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा।
"कैसे नदीदों की तरह घूर रहे हो, पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या," मै थोड़ा तेज स्वर मे बोली तो वो थोड़ा आचकचा गया, मुझे महसूस होने लगा की मै उसे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही हूँ।"मैडम... मैडम... आप तो बुरा मान गयी, आप जैसी सुंदर लड़की मैंने पहले कभी नहीं देखी," वो तुरंत तमीज मे आ के बात करने लगा, तो मै भी नर्म पड गयी।
"मैडम, पीछे घूम के दिखाओ न," वो मिन्नत सी करता हुआ बोला तो मुझे हंसी आ गयी।
"अब तुम्हारे लिए क्या फैशन परेड करूँ," मै नकली नाराजगी दिखते हुए बोली।"प्लीज मैडम, प्लीज," वो फिर जिद करने लगा।
मेरे बदन मे फिर से सनसनी दौड़ने लगी और मै घूम के अपना बदन उसे दिखाने लगी।
"अहह क्या बात है," वो सिसकारी भरता हुआ बोला, "आपकी कमर का कट और पीछे का उभार बड़ा गज़ब का है," वो सावधानीपूर्वक शब्दो का चयन करता हुआ तमीज से बोला, कहीं मै नाराज़ न हो जाऊ।
मुझे उसकी निगाहे अपने पिछवाड़े मे गड़ती हुई महसूस हो रही थी, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, थोड़ी देर मे मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया,
"मैडम प्लीज थोड़ी देर और देखने दो न," वो धीरे से मेरे कान मे फुसफुसाया तो मै अपनी जगह जड़ खड़ी रह गयी। वो मेरे इतने करीब खड़ा था की उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी। उसका कंधे पर रखा हुआ हाथ एसा महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी पत्थर रखा हो। तभी वो अपनी हथेली मेरी गांड पर रख दिया और कंधे पर रखा हुआ हाथ मेरे गले मे पिरो के मुझे अपनी बाहो मे समेट लिया।
"अहह, अह, मनोज," मुझे पता था ये सब गलत हो रहा है पर मुझ पर इतनी कामोतेजक खुमारी चढ़ गयी की मै अपना सर उसकी छाती पर टीका के आंखे बंद कर ली। जैसे कबूतर आंखे बंद करके सोचता है की बिल्ली उसे नहीं देख पाएगी वैसे ही मै आंखे बंद करके सोच रही थी की सब सही हो जाएगा। पर मै कबूतरी तो बिल्ली के पंजो मे दबी हुई थी।वो समझ गया था की यही मौका है कबूतरी के शिकार का, उसके हाथ तेजी से चलने लगे और मेरी साँसे। वो तेजी से मेरी गांड मसलने के बाद मेरे लहंगे का हुक खोल दिया और लहंगा एक तिरस्कृत वस्तु की तरह मेरे कदमो मे जा गिरा। मुझे अपने स्तनो मे एक टीस सी महसूस हुई तो मैने अदखुली आंखो से देखा की मेरा ब्लाउज़ दरवाजे के पल्लो की तरह चौपट खुला हुआ था और मेरा एक दूधिया उरोज उसके शिकंजे मे जकड़ा हुआ था।
"आहह... अह... छोड़ो... अहह... मनोज... अम्म... छोड़ दो प्लीज... अहह।"
"मैडम, जिस दिन से मैंने इन तनी हुई चूचियो की झलक देखी थी उसी दिन से इन्हे अपने हाथो से मसलने की तमन्ना थी," वो भर्राई आवाज मे बोला, "बहुत तनी हुई और टाइट है, तुम्हारे पती ने ढंग से नहीं रगड़ा क्या, आज मल मल के नरम कर दूँगा।""मनोज... नहीं... प्लीज," मैने कमजोर सी आवाज मे औपचारिकतावश विरोध किया पर अंदर से उम्मीद थी की वो आज मेरे को एक असली मर्द की तरह रगड़ डाले। मैंने अपनी सहेलियों से कई बार सुना था की उनके पती उन्हे कई बार जोश मे इतनी ज़ोर से चूचियो को मसल डालते की चीखे निकल जाती है दर्द के मारे। पर मेरे पती ने कभी भी इतना ज़ोर नहीं दिखाया और मै हमेशा अपनी सहेलियों से पूछती की क्यो वो अपने पती को एसा करने देती है तो वे हंसने लगती और कहती की मज़ा भी तो आता है। आज जिस तरह से मनोज ने मेरे स्तन को जकड़ा हुआ था मुझे लग रहा था की मुझे उस दर्द या मज़े का अनुभव मिलने वाला है।"मनोज, पिंकी बाहर वाले कमरे मे है," मै फुसफुसाई।
"तो दरवाजा बंद कर देते है," वो एक हाथ बढ़ा के दरवाजे की कुंडी लगा दिया और मुझे बिस्तर के समीप ले आया।
वो मुझे अपनी और घूमा लिया और मेरे अर्धनग्न बदन को निहारते हुए बोला, "मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी हो, एकदम बेदाग गोरी गोरी, होंट बिना लिपस्टिक के भी गुलाबी।" वो मेरा चेहरा उठा के मेरे होंटो को चूमने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड़ पे रख दिया। पैंट के ऊपर से ही मुझे उसके बड़े लंड़ का अहसास होने लगा।मेरे अंदर अब कोई संशय नहीं रह गया था, मै अब तैयार थी उसे अपना शरीर सौपने को और इस अनैतिक सुख को भोगने को।
मै उसकी ज़िप खोल के अंडरवीअर के अंदर हाथ घुसा दी। मोटा गरम गरम लंड़ मेरी हथेली मे आ गया। मेरे दिल धाड़ धाड़ करके मेरे सीने मे बजने लगा। एक सेकंड से भी कम समय मे मेरे मस्तिष्क मे सैकड़ो विचार घूम गए, मै किसी गैर मर्द का लंड हाथ मे पकड़े हूँ, मेरे पती का चेहरा मेरी आंखो के सामने नाच गया, अगर पती देख ले तो गज़ब हो जाएगा। पर मै सब विचारो को झटक के उसके लंड़ को सहलाने लगी।
"अहहम," मनोज और जोश मे भर के मेरे होंटो को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिरने लगी तो मै अपना मुह खोल के उसे अंदर का रास्ता दे दी, दोनों एक दूसरे के होंटो और जीभ को चूमने चाटने लगे। मनोज चूमने के साथ साथ मेरी चूचियो को भी मसलता रहा और मै उसके लंड को सहलाती रही और उसकी खाल को आगे पीछे करती रही।
"चलो बिस्तर पर लेटो अब और सारे कपड़े उतार दो," वो मुझे बिस्तर की तरफ ठेलता हुआ बोला। मै बिस्तर पर चित पड़ गयी और अपनी ब्रा पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा की वो जल्दी जल्दी नंगा हो गया और अपना तना हुआ मोटा लंड एक हाथ मे पकड़ के बिस्तर पर चढ़ गया। कुछ पल वो मेरे नंगे जिस्म को घूरता रहा।"क्या देख रहे हो।"
"यकीन नहीं हो रहा की इतने बड़े साहब की बीवी, ऐसे नंगी होके एक टेम्पो ड्राईवर का लंड लेने को लेटी है।"
"अहम्म।" मै उसकी बेबाक बात सुन के लाल हो गयी, "कुत्ते।"
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"उल्टी हो जा, तेरी चूचियो से शुरू करता हूँ," वो अब मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था। मेरे को बहुत शिद्दत से एहसास होने लगा की मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मै शिकायती लहजे मे उसे देखने लगी पर ऊस पे कोई असर नहीं हुआ। वो मेरे को आसानी से उल्टा लिटा के मेरे ऊपर पसर गया। उसके दोनों हाथ मेरे स्तनो को अपने लौहपाश मे जकड़ लिए और निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच।
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बिलकुल जंगली टेम्पो ड्राईवर
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"रवि तुम पिंकी को तैयार भी तो कर सकते हो, उसके स्कूल जाने के बाद चाय पी लेना," मै झुंझुलते हुऐ बोली।
मेरे पती सुनी अनसुनी करते हुऐ चाय पीते रहे और मै झुंझुलते हुऐ सभी काम निबटने मे लगी रही। किसी तरह पिंकी को तैयार किया और उसको जूते पहना रही थी की तभी उसके टेम्पो का हॉर्न सुनाई दिया।
"आ रही हू," मै बाल्कनी से झाक के बोली।
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मै सपना, एक 32 साल की हाउसवाइफ़ हू और मै अपनी 5 साल की बेटी पिंकी और पती रवि के साथ नोएडा के एक फ्लॅट मे रहती हू। सूबह सूबह रोज का यही रूटीन था और रोज ही हम लेट हो जाते और टेम्पो वाला हॉर्न पे हॉर्न मारता।
मै जल्दी से पिंकी का हाथ पकड़ के सीढ़ियो से नीचे उतारने लगी, नीचे पहुँच के मुझे ध्यान आया की मै चुन्नी डालना तो भूल ही गयी थी और मैंने ब्रा भी नहीं पहनी थी। मैंने देखा की मेरी चूचिया सफ़ेद कुर्ते मे तन के खड़ी थी और साफ साफ दिखाई दे रही थी। बाहर टेम्पो वाला हॉर्न मार रहा था।
"सूबह सूबह कौन देख रहा है," सोच के मै पिंकी को लेकर बाहर निकाल आई। टेम्पो मे पिंकी की उम्र के ही चार पाँच बच्चे बैठे हुऐ थे।
"मैडम आप रोज लेट कर देती है," वो तीखे स्वर मे बोला और फिर बोलते बोलते रुक गया, वो सीधा मेरी छातियो को घूर रहा था।
मै जल्दी से पिंकी को टेम्पो मे बैठने लगी। मैंने कनखियो से देखा वो कमबखत मुझे घूरे जा रहा था। चुन्नी न होने से मेरी छातिया काफी गहराई तक दिख रही थी और सफ़ेद कुर्ते मे मेरे निप्पलेस भी चमक रहे थे। मै नॉर्मल दिखने की कोशिश करने लगी और इसीलिए अपने हाथो से अपना सीना भी नहीं ढक पायी।
"मैडम, थोड़ा जल्दी आ जाया करे," इस बार वो बड़ी मिठास से बोला पर मुझे घूरना बंद नहीं किया।
"ठीक है, ठीक है," मै बोली और वो पिंकी का हाथ पकड़ के टेम्पो मे बैठा लिया। मै जल्दी से मुड़ के वापस चल दी, मुझे लग रहा था जैसे वो मुझे पीछे से भी घूर रहा हो।
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"ये लास्ट बच्चे को ड्रॉप करना था तो सोच की आपको क्यो तकलीफ दू, मै खुद ही फ्लॅट तक छोड़ देता हू," वो खीसे निपोरता हुआ बोला। मै समझ गयी की सूबह के नज़ारे के कारण ये फ्लॅट तक पहुच गया है।
पिंकी स्कूल बैग फेक के टीवी के सामने जम गयी। टेम्पो वाला दरवाजे पर खड़ा था और कनखियो से मुझे घूर रहा था। मेरे को अपने पे गर्व सा हुआ की मेरी एक झलक इसे दीवाना बना दे रही थी।
"धन्यवाद, पानी लोगे," मै साधारण शिस्टाचार के नाते बोली, तो वो तुरंत हाँ कहता हुआ अंदर आ गया।
मैंने देखा की वो कोई चालीस पैंतालीस साल का आदमी था, पर था तक्ड़ा। मैंने उसे पानी दिया और वो पानी पीते पीते भी मुझे निहारता रहा। मेरा फिगर भी टाइट कपड़ो मे उभर के आ रही था।
"पिंकी बहुत ही अच्छी लड़की है, बिलकुल भी परेशान नहीं करती," वो बोलने लगा।
"अच्छा, मुझे तो बहुत परेशान करती है, अभी खाना खाने मे कितना नखरा करेगी, मुझे ही पता है।"
वो खीसे निपोरने लगा, फिर पानी पी कर गिलास मेरे हाथ मे पकड़ा दिया।
"अच्छा मै चलता हूँ," वो एसे उम्मीद से बोला जैसे मै उसको रुकने के लिए बोलुंगी।
उस दिन वो पानी पी के चला गया पर फिर रोज ही पिंकी को छोड़ने फ्लॅट तक आने लगा और हर रोज इधर उधर की बाते भी करने लगा। उसे देख के मुझे भी अच्छा लगता था, जब वो मेरे शरीर को कामुक नजरों से देखता तो मुझे रोमांच हो जाता था। मै भी रोज तयार हो के उसका इंतज़ार करती। मुझे पता ही नहीं चला की कब मै अपनी हदे पार करने लगी।
उस दिन वो फ्लॅट के अंदर आ गया और मै पिंकी को खाना देने लगी तो वो रसोई के सामने ही कुर्सी पर बैठ गया। पिंकी खाना ले के टीवी के सामने बैठ गयी और वो मेरे से बाते करने लगा। फ्लॅट का दरवाजा अंदर से बंद था, अब वो रोज ही कुछ देर बाते करने के बाद जाता था। अब उसकी बाते भी बोल्ड होती जा रही थी।
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आखिर पापा से चुदवा लिया मैंने
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"मैडम आप जब जीन्स पहनती हो तो गज़ब लगती हो," वो बोला, "और आपके पती तो बहुत लकी है जो उनको आप जैसी बीवी मिली है।"
"अच्छा कैसे," मै मुसकुराते हुए बोली।
"क्योकि आपका आगा और पीछा दोनों उभर जाते है," वो बेशर्मी से बोला।
"धत, कैसे बात करता है," मै बोली, हालाकी मुझे भी उसकी ऐसी बातों मे मजा आता था।
"सलवार कुर्ते मै भी आप मस्त लगती हो पर जीन्स की तो बात ही क्या है, मेरे जैसे आदमी तो लाइन लगा के मरेगे," वो बेशरमों की तरह बोला, "आपके पती तो आपको रात भर छोड़ते नहीं होंगे।"
"हट," मै शर्मा गयी।
"उस दिन आप पार्टी मे जो लहंगा पहनी थी उसमे तो गज़ब लग रही थी," वो मेरे को मक्खन लगाता हुआ बोला। मै अंदर ही अंदर खुश होने लगी।
"सच, मैडम लहंगा पहन के दिखाओ न," वो बोला।
"अभी," मै अचरज से बोली।
"हाँ," वो जिद करने लगा।
मेरे शरीर मे सनसनी दौड़ने लगी, इस टेम्पो वाले के लिए मै फैशन परेड करुगी, सोच के ही अजीब सा लग रहा था।
वो जिद करने लगा, "लहंगा पहन के दिखाओ न।"
"पिंकी है,"
"तो क्या हुआ वो तो टीवी देखने मे मस्त है।"
मै अजीब तरह के जैसे नशे मे आ गयी थी और बेडरूम मे कपड़े बदलने चली गयी। मुझे उसके साथ इस तरह से फ़्लर्ट करने मे बहुत मज़ा आने लगा था। वो मेरे पती जैसा संभ्रांत व्यक्ति नहीं था बल्कि लोअर तबके का अशिक्षित व्यक्ति था। वो मेरे प्रति अपनी भावनाओ को घूमा फिरा के नहीं व्यक्त करता था बल्कि सीधे सीधे उसकी वासना उसके चेहरे पर झलकती थी। जैसे ही मैंने कपड़े बदल के दरवाजा खोला वो अंदर ही आ गया।
"वाह मैडम, क्या लग रही हो," वो अश्लील तरीके से बोला और मुझे ऊपर से नीचे तक घूरने लगा।
"कैसे नदीदों की तरह घूर रहे हो, पहले कोई लड़की नहीं देखी क्या," मै थोड़ा तेज स्वर मे बोली तो वो थोड़ा आचकचा गया, मुझे महसूस होने लगा की मै उसे कुछ ज्यादा ही भाव दे रही हूँ।
"मैडम... मैडम... आप तो बुरा मान गयी, आप जैसी सुंदर लड़की मैंने पहले कभी नहीं देखी," वो तुरंत तमीज मे आ के बात करने लगा, तो मै भी नर्म पड गयी।
"मैडम, पीछे घूम के दिखाओ न," वो मिन्नत सी करता हुआ बोला तो मुझे हंसी आ गयी।
"अब तुम्हारे लिए क्या फैशन परेड करूँ," मै नकली नाराजगी दिखते हुए बोली।
"प्लीज मैडम, प्लीज," वो फिर जिद करने लगा।
मेरे बदन मे फिर से सनसनी दौड़ने लगी और मै घूम के अपना बदन उसे दिखाने लगी।
"अहह क्या बात है," वो सिसकारी भरता हुआ बोला, "आपकी कमर का कट और पीछे का उभार बड़ा गज़ब का है," वो सावधानीपूर्वक शब्दो का चयन करता हुआ तमीज से बोला, कहीं मै नाराज़ न हो जाऊ।
मुझे उसकी निगाहे अपने पिछवाड़े मे गड़ती हुई महसूस हो रही थी, मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा, थोड़ी देर मे मै वापस घूमने लगी पर वो मेरे कंधे पर हाथ रख के मुझे रोक दिया,
"मैडम प्लीज थोड़ी देर और देखने दो न," वो धीरे से मेरे कान मे फुसफुसाया तो मै अपनी जगह जड़ खड़ी रह गयी। वो मेरे इतने करीब खड़ा था की उसकी साँसे मुझे अपनी गर्दन पे महसूस होने लगी। उसका कंधे पर रखा हुआ हाथ एसा महसूस हो रहा था जैसे कोई भारी पत्थर रखा हो। तभी वो अपनी हथेली मेरी गांड पर रख दिया और कंधे पर रखा हुआ हाथ मेरे गले मे पिरो के मुझे अपनी बाहो मे समेट लिया।
"अहह, अह, मनोज," मुझे पता था ये सब गलत हो रहा है पर मुझ पर इतनी कामोतेजक खुमारी चढ़ गयी की मै अपना सर उसकी छाती पर टीका के आंखे बंद कर ली। जैसे कबूतर आंखे बंद करके सोचता है की बिल्ली उसे नहीं देख पाएगी वैसे ही मै आंखे बंद करके सोच रही थी की सब सही हो जाएगा। पर मै कबूतरी तो बिल्ली के पंजो मे दबी हुई थी।
वो समझ गया था की यही मौका है कबूतरी के शिकार का, उसके हाथ तेजी से चलने लगे और मेरी साँसे। वो तेजी से मेरी गांड मसलने के बाद मेरे लहंगे का हुक खोल दिया और लहंगा एक तिरस्कृत वस्तु की तरह मेरे कदमो मे जा गिरा। मुझे अपने स्तनो मे एक टीस सी महसूस हुई तो मैने अदखुली आंखो से देखा की मेरा ब्लाउज़ दरवाजे के पल्लो की तरह चौपट खुला हुआ था और मेरा एक दूधिया उरोज उसके शिकंजे मे जकड़ा हुआ था।
"आहह... अह... छोड़ो... अहह... मनोज... अम्म... छोड़ दो प्लीज... अहह।"
"मैडम, जिस दिन से मैंने इन तनी हुई चूचियो की झलक देखी थी उसी दिन से इन्हे अपने हाथो से मसलने की तमन्ना थी," वो भर्राई आवाज मे बोला, "बहुत तनी हुई और टाइट है, तुम्हारे पती ने ढंग से नहीं रगड़ा क्या, आज मल मल के नरम कर दूँगा।"
"मनोज... नहीं... प्लीज," मैने कमजोर सी आवाज मे औपचारिकतावश विरोध किया पर अंदर से उम्मीद थी की वो आज मेरे को एक असली मर्द की तरह रगड़ डाले। मैंने अपनी सहेलियों से कई बार सुना था की उनके पती उन्हे कई बार जोश मे इतनी ज़ोर से चूचियो को मसल डालते की चीखे निकल जाती है दर्द के मारे। पर मेरे पती ने कभी भी इतना ज़ोर नहीं दिखाया और मै हमेशा अपनी सहेलियों से पूछती की क्यो वो अपने पती को एसा करने देती है तो वे हंसने लगती और कहती की मज़ा भी तो आता है। आज जिस तरह से मनोज ने मेरे स्तन को जकड़ा हुआ था मुझे लग रहा था की मुझे उस दर्द या मज़े का अनुभव मिलने वाला है।
"मनोज, पिंकी बाहर वाले कमरे मे है," मै फुसफुसाई।
"तो दरवाजा बंद कर देते है," वो एक हाथ बढ़ा के दरवाजे की कुंडी लगा दिया और मुझे बिस्तर के समीप ले आया।
वो मुझे अपनी और घूमा लिया और मेरे अर्धनग्न बदन को निहारते हुए बोला, "मैडम आप तो बिलकुल अप्सरा जैसी हो, एकदम बेदाग गोरी गोरी, होंट बिना लिपस्टिक के भी गुलाबी।" वो मेरा चेहरा उठा के मेरे होंटो को चूमने लगा और मेरा हाथ पकड़ के अपने लंड़ पे रख दिया। पैंट के ऊपर से ही मुझे उसके बड़े लंड़ का अहसास होने लगा।
मेरे अंदर अब कोई संशय नहीं रह गया था, मै अब तैयार थी उसे अपना शरीर सौपने को और इस अनैतिक सुख को भोगने को।
मै उसकी ज़िप खोल के अंडरवीअर के अंदर हाथ घुसा दी। मोटा गरम गरम लंड़ मेरी हथेली मे आ गया। मेरे दिल धाड़ धाड़ करके मेरे सीने मे बजने लगा। एक सेकंड से भी कम समय मे मेरे मस्तिष्क मे सैकड़ो विचार घूम गए, मै किसी गैर मर्द का लंड हाथ मे पकड़े हूँ, मेरे पती का चेहरा मेरी आंखो के सामने नाच गया, अगर पती देख ले तो गज़ब हो जाएगा। पर मै सब विचारो को झटक के उसके लंड़ को सहलाने लगी।
Last edited: May 9, 2024
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Feb 14, 2023
#3
"अहहम," मनोज और जोश मे भर के मेरे होंटो को चूसने लगा, उसकी जीभ मेरे होंटो के ऊपर फिरने लगी तो मै अपना मुह खोल के उसे अंदर का रास्ता दे दी, दोनों एक दूसरे के होंटो और जीभ को चूमने चाटने लगे। मनोज चूमने के साथ साथ मेरी चूचियो को भी मसलता रहा और मै उसके लंड को सहलाती रही और उसकी खाल को आगे पीछे करती रही।
"चलो बिस्तर पर लेटो अब और सारे कपड़े उतार दो," वो मुझे बिस्तर की तरफ ठेलता हुआ बोला। मै बिस्तर पर चित पड़ गयी और अपनी ब्रा पैंटी भी उतार फेंकी। मैंने देखा की वो जल्दी जल्दी नंगा हो गया और अपना तना हुआ मोटा लंड एक हाथ मे पकड़ के बिस्तर पर चढ़ गया। कुछ पल वो मेरे नंगे जिस्म को घूरता रहा।
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"यकीन नहीं हो रहा की इतने बड़े साहब की बीवी, ऐसे नंगी होके एक टेम्पो ड्राईवर का लंड लेने को लेटी है।"
"अहम्म।" मै उसकी बेबाक बात सुन के लाल हो गयी, "कुत्ते।"
वो अपनी टाँगे मेरे दोनों ओर डाल के मेरे ऊपर चढ़ गया।
"उल्टी हो जा, तेरी चूचियो से शुरू करता हूँ," वो अब मैडम मैडम करके बात नहीं कर रहा था। मेरे को बहुत शिद्दत से एहसास होने लगा की मेरे से बहुत बड़ी गलती हो गयी है। मै शिकायती लहजे मे उसे देखने लगी पर ऊस पे कोई असर नहीं हुआ। वो मेरे को आसानी से उल्टा लिटा के मेरे ऊपर पसर गया। उसके दोनों हाथ मेरे स्तनो को अपने लौहपाश मे जकड़ लिए और निप्प्ल्स को अपने अंगूठे और उंगली के बीच।
"आहह... हाय मम्मी मर जाऊँगी," मै ज़ोर से छटपटाने लगी।
"क्या हुआ सपना," वो फुसफुसाया पर उसकी पकड़ ढीली नहीं हुई।
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