चमक
मैं हसीनाओं की चमक से अनजान नहीं था। मगर उसका यूँ दरवाजा खोलना, मुझे भेद सा गया।
वो अकेली ही थी, छोटे से तौलिए...
वो अकेली ही थी, छोटे से तौलिए...