बेटी अनुपमा
संबलपुर नाम का छोटा सा गांव था।उस गांव में रामेश्वर और श्रृतुंबरा नाम के मध्यमवर्गीय दंपति रहते थे।उनको अनुपमा नाम एकलौती लाडली, होनहार समझदार सेंटी थी। अनुपमा अभी-अभी अपनी कृषि विज्ञान कि स्नातक पदवी परीक्षा देकर शहर से अपने माता-पिता को मिलने गांव आईं थीं। रामेश्वर जी थोड़ी सी छोटी जमिन थी। उसी में कुछ थोड़े थोड़े फसलों का उपजाऊ करते हुए अपना घर चलाते थे, और उसकी पत्नी श्रृतुंबरा भी कुछ सिलाई-कढ़ाई करके घर खर्च के लिए थोड़ा बहुत सहायता करती थी।कीसी तरह घर परिवार का गुजारा होता था। अनुपमा अपनी मां के साथ कामों में हाथ बंटाया करती थी।जो सिख आई है, उसके बारे में रात को अपने पिता जी के साथ समालोचन करती थी।
रामेश्वर जी बहुत खुश होकर बेटी कि बात ध्यान से सुनते थे, और फसलों के बारे में कुछ सुझाव भी लेते थे। उपजाऊ जमीन तथा जैविक खेती के बारे में भी बातचीत करते थे।
रामेश्वर जी अपनी छोटी सी जमीन में बेटी कि सलाह लेते हुए, खेती में जैविक कृषि करने लगे। इससे अधिक फसल के साथ साथ अच्छा उत्पादन होने लगा। जैविक खेती से छोटी सी जमीन में भी अच्छी तरह अधिक फसल उत्पादन कर सकते है । इसकी चर्चा गांव में और आस-पड़ोस के गांव होने...
रामेश्वर जी बहुत खुश होकर बेटी कि बात ध्यान से सुनते थे, और फसलों के बारे में कुछ सुझाव भी लेते थे। उपजाऊ जमीन तथा जैविक खेती के बारे में भी बातचीत करते थे।
रामेश्वर जी अपनी छोटी सी जमीन में बेटी कि सलाह लेते हुए, खेती में जैविक कृषि करने लगे। इससे अधिक फसल के साथ साथ अच्छा उत्पादन होने लगा। जैविक खेती से छोटी सी जमीन में भी अच्छी तरह अधिक फसल उत्पादन कर सकते है । इसकी चर्चा गांव में और आस-पड़ोस के गांव होने...