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मैं पागल हो गई हूं
कोई नहीं है मेरा कोई मुझे नहीं समझता जिस से कुछ उम्मीद करो वो पहले से ही सोच के रखते हैं कि नहीं समझ ना है माही को सच बताउ ना तो मैं बहुत ज्यादा टूट गई हूं इतना कि किसी को भी समझाना तक छोड़ दिया है मैंने
हर वक्त दिल कहता है कुछ ऐसा जो मेरे लिए बहुत जरूरी है वो मुझसे दूर हो चला है..!!

मुझे लगता है मैं पागल हो गई हूं

कभी कभी खुद से ही इतनी नफरत होती है कि खुद को दो चार थप्पड़ मार देती हूं खुद से बहुत ज्यादा नफरत होती है कहीं भी सुकून नहीं मिलता दिल करता है खूब रो लू ..!!

अगर कभी मुझे कोई मेरे अच्छे के लिए भी कुछ सम झाता है तो मुझे फ्रेस्टिशन होने लगती है दिल करता है खुद को हर्ट कर डालू एकदम से

परशान हूं मैं, मुझे नफरत है हर बात से हर चीज से सबसे ..
मेरा दिल करता है मैं किसी को जान से मार दूं किसी से ठीक से बात न करूं न कही जाउ ना पढ़ूं न जीवन में कुछ हासिल करूं बस किसी गुमनामी में खो गए जहां से मुझे कोई भी न बाहर ला सके..!!