नई दिशा
*नई दिशा* सागर अपने विद्यालय का एक होनहार विद्यार्थी था। उसे कहानी, कविता लिखने का शौक था। उसके पिताजी नगर पालिका में अध्यक्ष के पद पर आसीन थे।
उसके पिताजी श्री
दीनदयाल जी सम्पन्न थे परन्तु उन्हें नशे की बुरी लत थी।
वे अक्सर सागर को छोटी-छोटी बातों पर डांट फटकार देते थे। सागर अपने पिताजी से बहुत डरा- सहमा रहता...
उसके पिताजी श्री
दीनदयाल जी सम्पन्न थे परन्तु उन्हें नशे की बुरी लत थी।
वे अक्सर सागर को छोटी-छोटी बातों पर डांट फटकार देते थे। सागर अपने पिताजी से बहुत डरा- सहमा रहता...