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अध्याय 4: एकाकी भीड़

अमित अपनी सोशल मीडिया लत से कम-कम बाहर निकल रहा था। साथ ही उसका जीवन भी धीरे-धीरे सुधर रहा था। पर एक बात अमित को अभी भी परेशान कर रही थी- वह हमेशा अकेला महसूस करता था।

इस बात पर सोचते हुए अमित ने पहली बार स्वीकार किया कि सोशल मीडिया ने उसके वास्तविक रिश्तों को काफी नुकसान पहुंचाया है। वह हमेशा अपने फ़ोन में डूबा रहता था, इसलिए दोस्तों से समय नहीं बिता सकता था।

अमित की नज़र में उसके अधिकतर दोस्त भी अब बदल चुके थे। कुछ दूर हो चुके थे तो कुछ अब केवल ऑनलाइन ही दिखाई देते थे। कोई उसके साथ मिलने का समय नहीं निकालता था।

एक शाम अमित घर पर अकेला बैठा था। इसी बीच उसने अपने मोबाइल को देखा तो पांच सौ से भी ज्यादा नोटिफिकेशन थे। लेकिन इनमें से कुछ भी उसके दोस्तों से संबंधित नहीं था।

ये देखकर अमित को अपने बारे में सच का एहसास हुआ। सच ये था कि वह सोशल मीडिया के माध्यम से केवल अपनी एकाकीपन की भावना को कम करने की कोशिश कर रहा था। वास्तव में तो वह बहुत ही अकेला था।

अब तक अमित सोचा करता था कि सोशल मीडिया से उसके दोस्त जुड़े हुए हैं। लेकिन आज जब वह अकेला महसूस हुआ, तो समझ में आया कि वास्तव में तो कोई भी उससे जुड़ा नहीं है।

अमित को अपने जीवन से इतना निराशा हुई कि वह रोने लगा। वह खुद से सवाल करने लगा कि वह इतना कैसे अकेला हो गया? क्या सिर्फ सोशल मीडिया ही उसके रिश्तों को तोड़ सकता है?

उसी दिन शाम को अमित ने अपने एक पुराने दोस्त से बात की। अमित बोला- मुझे लगता है कि हमारे रिश्ते सोशल मीडिया की वजह से कमजोर हो गए हैं। क्या हम फिर से मिल सकते हैं?

दोस्त ने कहा- हां बिलकुल। तुम सही कह रहे हो। चलो कल मिलते हैं। ये सुनकर अमित के मन में खुशी हुई। शायद अभी उसके जीवन में एक नई शुरुआत होने वाली थी।1, अगले दिन अमित ने अपने उस पुराने दोस्त से मिलने का समय लिया। उसने दोस्त को कॉफ़ी पर बुलाया।

मिलते ही दोनों ने एक दूसरे से बातें कीं और पिछले काफी समय से चल रही दूरी के बारे में बात की। अमित ने अपनी सोशल मीडिया लत के बारे में भी बताया।

दोस्त ने कहा कि हां, मुझे भी लगता है कि हम दोनों इसी में फिसल गए थे। लेकिन अब हम इसे सुधार सकते हैं। उसने अमित से नियमित रूप से मिलने की बात कही।

इस मुलाकात से अमित को बहुत आनंद हुआ। उसे लगा कि शायद वह अपने पुराने रिश्तों को फिर से जोड़ पाएगा।

इसके बाद अमित ने अपने और दोस्तों से संपर्क साधना शुरू किया। कई लोगों ने उसकी बात मानी और मिलने को तैयार हो गए। धीरे-धीरे अमित का सामाजिक जीवन फिर से सुधरने लगा।

अब वह हफ्ते में कम-से-कम दो बार किसी न किसी दोस्त से मिलने लगा था। कभी कॉफी पीने जाता था तो कभी मूवी देखने।

इस बीच अमित ने अंकिता से भी कई बार बात की। अंकिता ने उसे सलाह दी कि वह अपने हॉबीज पर भी ध्यान दे। इससे अमित को याद आया कि पहले वह क्रिकेट खेलना बहुत पसंद करता था।

अंकिता की सलाह पर अमित ने अपने कॉलोनी में होने वाले वीकेंड क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लिया। वहां उसने कई नए लोगों से मुलाकात की और उनसे दोस्ती की। अमित का जीवन फिर से सकारात्मक रूप से बदलता जा रहा था।1,