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इक दास्तान आंखों देखी
#NightInForest
मेरा गाँव जंगल के ही करीब क्या कहूँ सटा हुआ है। शाम होते ही हुक्की हुआ, हुक्की हुआ होने लगता है, शाम को अंधेरे में हुक्की हुआ भी बहुत डरावना लगता है, ऊदबिलाव, सियार, भेड़िये आदि निकलने लगते हैं।
वातावरण डरावना हो जाता है । सभी अपने
परिवार की सुरक्षा के लिए सतर्क हो जाते हैं।
डण्डा, भाला, कांता आदि शस्त्र रक्षा हेतु लगभग सभी घरों में होते हैं उन्हें शायं झाड़
पोछ रख के संतुष्ट हो जाते हैं। शरद् ऋतु का मौसम था सब लोग अपने घर में या घर के बाहर आग जलाकर तापते हैं, वहां बच्चे बुजुर्ग
बहू बेटियां सभी बैठते हैं । गाँव घर की बातें होती रहती हैं, उस दिन भी बातों...