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उसका कॉल
आज की सुबह भी वैसी ही थी जैसे पहले हुआ करती थी । योगा , स्नान , पूजा , नाश्ता और ऑफिस के लिए लेट 😕😕😕 मेरा रोज का यही था 😀😀😀 लेकिन आज कुछ बदला था तो सिर्फ ये की मुझे सुबह से एक कॉल आ रहे थे लेकिन रिसीव करते ही कॉल कट कर दिया जाता था ।
करीब दस बार ऐसा हो चुका था लेकिन बस अब ये मेरे बर्दाश्त की सीमा से बाहर था । मै पहले से ही मूड बना ली थी कि जैसे ही पहली रिंग होगी फोन रिसीव करना है और उसको इतनी फटकार लगानी है कि वो आगे से किसी को परेशान करने से पहले सौ बार सोचेगा ।

ऐसा सोच कर मै ऑफिस के लिए तैयार होने चली गई । करीब पांच मिनट के बाद फोन फिर से बजा इस बार मै अपने प्लान के मुताबिक थी तो मैंने झट से फोन रिसीव किया और लगी उसे सुनाने । जो मेरे मन में था मै सब कह गई । मै अपने शब्द के सीमा को पार ही करने वाली थी कि उधर से आवाज आया "सॉरी" ।

ये एक शब्द मुझे स्तम्भ करने के लिए काफी था ।
मै आवक पत्थर की मूरत बन कर खड़ी थी ।

फोन के दूसरे ओर से आवाज आ रहा था , वो आवाज मेरे कानों से होते हुए सीधा मेरे दिल तक जा रही थी ।

"मै रोहित , प्रिया पहचाना मुझे , मै तुम्हे याद हूं न प्रिया । प्रिया आई एम् सो सॉरी , मै मानता हूं मेरी गलती थी , मै अचानक तुम्हे छोड़ कर चला गया , प्रिया मुझे उस वक्त तुम्हारे प्यार की कीमत पता नहीं थी । प्रिया मुझे लगता था कि तुम मेरे लायक नहीं हो लेकीन सच तो ये है कि मै तुम्हारे लायक नहीं था प्रिया ।

प्रिया तुम सुन रही हो न , प्रिया मुझे माफ़ कर दो ,
मैं मानता हूं कि यू चार साल बाद माफी मांगना सही नहीं लेकिन प्रिया मै तुमसे बहुत प्यार करता हूं , प्रिया मेरी जिंदगी में लौट आओ , आई प्रोमिश मै तुमसे बहुत ज्यादा प्यार करुगा । ”

जो जख्म थोड़े भर चुके थे वो फिर से हरे हो गए थे , सारी पुरानी बातें आंखों के सामने घूम रहे थे । आंखों से आंशु की नदियां बह रही थी ।
जो मुझे बिना वजह छोड़ गया । कभी पलट कर देखा नहीं । जिसके लिए मै ना जाने कितने दिन रो कर बिताए वो आज अचानक से माफी मांग रहा है लेकिन मुझे कुछ तो फैसला लेना था ।

रोहित "हैलो प्रिया , कुछ तो बोलो ”

मेरे मुंह से बस इतना निकला " इट्स ओके रोहित लेकिन अब बहुत देर हो चुकी है , अब मेरे दिल में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं , सॉरी ।
आगे से कॉल करने की कोई जरूरत नहीं ”

मै कॉल कर की , अपने आंशू पोछे , और ऑफिस के लिए निकल पड़ी ।

पता नहीं क्यों लेकिन आज दिन में एक सुकून था ।


© श्रेया