जीवनदायिनी मां
शीर्षक---- जीवनदायिनी मां
जीवन विषयक अवधारणा प्रकृति में जब भी चिंतन किया जाता है तो, सदैव प्रकृति रूप जननी को ही जीवनदायिनी या समस्त महा भूतों की माता कहते हैं।
यह श्रेय सदा से ही प्रकृति को प्राप्त रहा है, यदि हम उपनिषदों और शास्त्रों की बात करें तो प्रकृति और पुरुष का ही संयोग जीवन के उत्पत्ति का एकमात्र साधन है वही; शास्त्रों में कहा गया है की, बिना प्रकृति के पुरुष एक लंगड़े व्यक्ति के जैसे हैं और वही बिना पुरुष के प्रकृति अंधे व्यक्ति के समान ; अतः दोनों के सहयोग से ही जीवन का विकास और आरंभ संभव है ।
ऐसा कहते हैं;
यह जो प्रकृति है यदि उसको स्थूल रूप...
जीवन विषयक अवधारणा प्रकृति में जब भी चिंतन किया जाता है तो, सदैव प्रकृति रूप जननी को ही जीवनदायिनी या समस्त महा भूतों की माता कहते हैं।
यह श्रेय सदा से ही प्रकृति को प्राप्त रहा है, यदि हम उपनिषदों और शास्त्रों की बात करें तो प्रकृति और पुरुष का ही संयोग जीवन के उत्पत्ति का एकमात्र साधन है वही; शास्त्रों में कहा गया है की, बिना प्रकृति के पुरुष एक लंगड़े व्यक्ति के जैसे हैं और वही बिना पुरुष के प्रकृति अंधे व्यक्ति के समान ; अतः दोनों के सहयोग से ही जीवन का विकास और आरंभ संभव है ।
ऐसा कहते हैं;
यह जो प्रकृति है यदि उसको स्थूल रूप...