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दोस्ती
सोनू मेरी सबसे अच्छी सहेली थी, हम बचपन से एक साथ पढ़े थे!
12वीं कक्षा पास करने के बाद उसका दिल्ली के अच्छे कॉलेज में दाखिला हो गया था, अभी तक मैंने किसी कॉलेज में प्रवेश नहीं लिया था! वो चाहती थी कि मैं भी जल्दी ही किसी कॉलेज में दाखिला ले लूँ!
मैंने BCA का entrance exam दिया और मैं अच्छी रैंक से पास हुई, दाखिला लेने के लिए कुछ certificates स्कूल से चाहिए थे वही लेकर स्कूल से लौट रही थी, बहुत ख़ुश थी कि जब सोनू को पता चलेगा मेरे दाखिले के बारे में तो वो बहुत ख़ुश होगी! रास्ते में उसका घर था, मैं उसके घर के लिए चल दी!
उसे आवाज़ दी, घर पर कोई नहीं था, दरवाज़े भी खुले थे, बाहर आकर पड़ोसी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बीमार है, इसलिए सभी अस्पताल में होंगे! कुछ समझ नहीं आया कि वो किस की बात कर रही हैं, मेरी सहेली दो बहनें थी!
उनसे जल्दी पता पूछा और अस्पताल पहुँच गयी, मेरी सहेली भर्ती थी और उसे अपेंडिक्स हुआ था, मुझे देख कर बहुत ख़ुश हुई मगर ख़ुद की हालत पर, मुझे देख रो पड़ी! जो बात किसी से नहीं कह सकती थी, सब मुझसे कहती थी! वो कहती जा रही थी, ख़ुद को दिखा भी रही थी कि कितनी हालत ख़राब है!
मैं बहुत परेशान हो गयी थी उसे ऐसे देख कर, मैं घर वापस आ गयी!
दूसरे दिन मुझे दाखिले के लिए दूसरे शहर जाना था, आख़िरी तारीख थी, मैंने दाखिला ले लिया! Classes शुरू हो गयी, मगर मन नहीं लगता था, होस्टल और कॉलेज में!
करीब 10-12 दिन बाद मुझे घर वापस आने का मौका मिला, और मैं ख़ुशी से अपनी सहेली के घर की ओर चल दी, ये सोचकर कि अब वो ठीक होकर वापस घर आ गयी होगी!
मैंने ख़ुशी के मारे दरवाज़े से ही उसे आवाज़ देना शुरू कर दिया, मगर कोई नहीं आया, अंदर देखा कि उसकी मम्मी उसकी छोटी बहन को खाने के लिए डाँट रही थी और वो रो रही थी!
मैंने एक ही साँस में बहुत सवाल पूछ डाले कि सोनू कहाँ है, कब आई अस्पताल से, अब कैसी है?
वो चुप रहीं, थोड़ी देर बाद बोलीं कि वो चली गई छोड़ कर!!!!
मेरा सिर घूमने लगा कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है, इतनी बीमार नहीं थी वो!!!
आन्टी ने बताया कि उसका केस बिगड़ गया था और तबियत ज़्यादा ख़राब हो गयी थी, जिस दिन मैं उससे मिली, उसके बाद उसकी हालत और ख़राब हो गयी थी और रात आते आते..... वो चली गई!
उन्होंने बताया कि वो आख़िरी समय मुझे याद करती रही, कुछ कहना चाहती थी शायद!!!
और मैं अभागी मुझे पता तक नहीं चला कि बीते दिनों मेरा खज़ाना लुट चुका था, मेरा दोस्ताना खाली हो गया था!
काश मैं उस समय उसके पास होती तो उसे सुन पाती, शायद उसकी कुछ तकलीफ़ कम हो जाती.... उफ़ हाय री किस्मत.....
उसके बाद उसकी ख़ुशी के लिए खूब मेहनत करती रही, कि वो कहीं से देखती होगी तो ख़ुश होगी!
बरसों अपनी डायरी में लिख कर उससे बातें किया करती थी, कोई परेशानी होती तो लिख कर कहती और समस्या का समाधान हो जाता था, वो मेरे साथ नहीं मगर उसकी दोस्ती मेरे दिल में हमेशा रहेगी!
ऐसा दोस्ताना था हमारा!!


© सुधा सिंह 💐💐