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उम्र के उस पड़ाव पर मिलना

कल की बात है,वैसे तो बात जैसी कोई बात नहीं इसमें पर जाने क्यों जेहन में अटक गई है इसलिए अब लिख देना जरूरी है।
ट्रेन बड़ोग स्टेशन पर रुकी और हमेशा की तरह यात्रीगण तस्वीरे खींचाने इंजन की तरफ आए।
इन में एक बुजुर्ग दंपति थे।
अंकल ने मेरी यूनिफॉर्म से अंदाजा लगाया की मैं इस ट्रेन पर काम कर रही हूं चूंकि मैं इंजन से नीचे उतरी हुई थी।
अपना परिचय दिया, अंकल रेलवे से रिटायर्ड हुए थे।
मुझसे कुछ बातें करते हुए मेरे सर पर हाथ रखा और बोले खूब तरक्की करो ।
उनका स्पर्श और दुआ दोनो ही बहुत ही शुद्ध और सुखद था। शायद, इसे ही कहते हैं सच्ची दुयाएं।
हालाकि बात मेरी जॉब या दुआ की नहीं थी।
अंकल ने आंटी से मेरा परिचय कराया और अपना फोन देते हुए बोले की हमारी कुछ तस्वीरें खींच दो।

उनकी शादी अरेंज थी या लव नहीं पता पर जिस उम्र में उनके बीच जो मीठा सा रिश्ता मैंने देखा वो बहुत ही खूबसूरत था।
कहां तो शादी के एक दो साल बाद ही लोगों के रिश्ते बस सामाजिक रह जाते हैं और कहां ये प्यारे दंपति।

उनकी कुछ अच्छी तस्वीरें ली,एक अजीब सा सुकून था उनके चेहरे पर और दिल भर आया उन्हे देख कर।
क्या इस जमाने में भी ऐसे रिश्ते हो सकते हैं,इतने शुद्ध भाव वाले और उसमे उमर के आखरी पड़ाव तक प्यार जिंदा रहे।

जाने क्यों मुझे जवानी के दिनो वाले प्यार से ज्यादा बुढ़ापे वाला प्यार आकर्षित करता है।
शायद इसलिए मेरी कविताओं में भी दिख जाता है उम्र के आखरी पड़ाव वाले प्यार की उम्मीद।

उनकी एक तस्वीर मैने अपनी आंखों में रख ली एक खूबसूरत याद बना कर। ऐसा ही एक वाकया शिमला में हुआ था वो किस्सा किसी और दिन।

#जिंदगी_चलती_रहे
💙💙💙

©प्रिया सिंह
© life🧬