...

11 views

संस्कार ,संस्कृति और संस्कृत को गाली देने वालों ये श्लोक पढ़े हैं कभी🤔🤔🤔😇😇
चलो प्रारंभ करता हूं सबसे पहले उस श्लोक से जिससे ज्यादा मोटिवेशन देने वाला मैंने आज तक कुछ नहीं पढ़ा🤔🤔

"अमंत्राक्षरं नास्ति ,नास्ति मुलामनौषधं,
अयोग्यपुरुष: नास्ति ,योजकस्तत्र दुर्लभः

अर्थात ऐसा कोई अक्षर नहीं है जिससे मन्त्र ना बन सके, ऐसी कोई पादप की जड़ नहीं है जो औषधि ना बन सके,ऐसा कोई पुरुष नहीं है जो अयोग्य हो ,बस इनकी खूबियों को पहचानने वाला दुर्लभ है🤔🤔🤔अर्थात हर कोई योग्य है।

हाँ मैं जानता हूँ तुम आलोचकों को ,तुम आओगे अपना नारीवाद का झंडा लेकर कि देखो तुम्हारी संस्कृत नारियों को योग्य नहीं कह रही ,सिर्फ पुरुषों को कह रही है😇😇

तो चलो कुछ देर के लिए गीता में चलते हैं ,केशव ने स्वयं को मुनियों में कपिल कहा है
अब जानते हो कपिल कौन हैं🤔🤔🤔

कपिल वो हैं जिन्होंने सांख्य दर्शन प्रतिपादित किया था,🤔🤔
सांख्य दर्शन सृष्टि की उत्पत्ति प्रकृति और पुरुष से मानता है,प्रकृति अर्थात...