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मित्रता दिवस विशेष
मित्रता का सबसे उत्तम उदाहरण यदि हमने अपने जीवन में जाना है, तो वह थी महर्षि संदीपनी के गुरुकुल में उनके दो शिष्यों कृष्ण और सुदामा के बीच हुई मित्रता.
जिनके बीच ऊंच नीच का कोई भेद नहीं था. सुदामा जो एक गरीब ब्राह्मण परिवार से सम्बन्ध रखते थे उनके और एक राज परिवार से सम्बन्ध रखने वाले कृष्ण के बीच प्रगाढ़ मित्रता थी.
यहाँ तक की द्वारिका के राजा बनने के बाद भी कृष्ण अपने बाल सखा सुदामा को नहीं भुले थे. अपने द्वारपाल द्वारा सुदामा के आने की सूचना पाते ही नंगे पैर उनसे मिलने दौड़ पड़े थे.
मित्रता के उस स्तर तक जाने की तो आज के युग में कल्पना भी नहीं की जा सकती पर मित्रता ईमानदारी से निभाई जाए इसका प्रयास तो किया जा सकता है.
© kalyani