तितलियों का शहर और टूटे सपने
तितलियों का शहर और टूटे सपने
आरुषि, एक छोटी पहाड़ी शहर की लड़की, जिसकी आँखें झरने के पानी की तरह चमकती थीं, हमेशा से एक सपना देखती थी - एक दिन बड़े शहर में जाकर अपनी कला को दुनिया के सामने लाना। उसके हाथ में हमेशा एक स्केचबुक होती थी, जिसमें वो अपने दिल की भावनाओं को रंगों और रेखाओं में उतारती थी। उसके चित्र, जैसे कि वो खुद, सरल और सच्चे थे।
उसके गाँव में, जहाँ पहाड़ बादलों से बातें करते थे और नदियाँ पत्थरों से खेलती थीं, जीवन धीमा और शांत था। आरुषि के पिता, एक किसान, उसे हमेशा कहते, "सपने देखो, बेटी, लेकिन अपनी जड़ों को कभी मत भूलो।" उसकी माँ, एक कुशल बुनकर, उसे प्यार से समझाती, "सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और धैर्य दोनों चाहिए।"
आरुषि ने अपनी बारहवीं कक्षा पूरी की और शहर के एक प्रतिष्ठित कला महाविद्यालय में प्रवेश पा लिया। उसके छोटे से गाँव से, वह पहली लड़की थी जिसने ऐसा किया था। उसके गाँव के लोग, उसकी सफलता पर...
आरुषि, एक छोटी पहाड़ी शहर की लड़की, जिसकी आँखें झरने के पानी की तरह चमकती थीं, हमेशा से एक सपना देखती थी - एक दिन बड़े शहर में जाकर अपनी कला को दुनिया के सामने लाना। उसके हाथ में हमेशा एक स्केचबुक होती थी, जिसमें वो अपने दिल की भावनाओं को रंगों और रेखाओं में उतारती थी। उसके चित्र, जैसे कि वो खुद, सरल और सच्चे थे।
उसके गाँव में, जहाँ पहाड़ बादलों से बातें करते थे और नदियाँ पत्थरों से खेलती थीं, जीवन धीमा और शांत था। आरुषि के पिता, एक किसान, उसे हमेशा कहते, "सपने देखो, बेटी, लेकिन अपनी जड़ों को कभी मत भूलो।" उसकी माँ, एक कुशल बुनकर, उसे प्यार से समझाती, "सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत और धैर्य दोनों चाहिए।"
आरुषि ने अपनी बारहवीं कक्षा पूरी की और शहर के एक प्रतिष्ठित कला महाविद्यालय में प्रवेश पा लिया। उसके छोटे से गाँव से, वह पहली लड़की थी जिसने ऐसा किया था। उसके गाँव के लोग, उसकी सफलता पर...