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आम की गुठली..
आम की गुठली...
आज मोटे लोगो कै यहां अमरस बना है, मोटै लोग जब पूजा कराते है करते हैं तो गांव भर को अमरस चखाते है ..मोटे लोगो का शहर की तरफ खूब जाना होता है.. गांव में तो दर रैगिस्थान और माटी ही माटी है, पानी कै लिये भी दूर कुयें तक जाते हैं लोग, पर मौटे लोगो नै तो पानी भरकर लाने कै लिये भी अलग भाषा बोलने वाले दूर जंगलो कै लोग रख रखे हैं.. आज मोटै लोग पूजा करेंगे एक एक सिकोरा जो उनकै दरवाजै पै लैन लगायैगा सबको पिलाया जायेगा ..आमरस कितना मिठा होता है.. वास मजा आ जाता है और तो और सिकोरा चाटना भी कितना ..आ.. हा.. रस्सेदार.. पिछली साल पिया था.. यह सोचते सोचते धोंपू भी सबके साथ मोटै लोगो के दरवज्जै बाहर लैन में खडा हो गया.. रोघन का नम्बर आने ही वाला था ..उसने थोडी दूर खडे बांटने वाले को कहां.. एक गुठली मिलैगी,आम की ???
नहीं नहीं हम गुठली सैंक कर खाते है, सैठजी से...