कब जाएगी जाति
अभी चंद्रपाल की माँ चूल्हें पर रोटियाँ बनाकर हटी ही थी अपने पति और बच्चों को खाने के लिए आवाज़ देने के लिए तभी अचानक उसने थाली में पड़ी रोटियों की तरफ देखा तो उसे ख़्याल आया कि आज फिर उसके परिवार को जीने लायक ही खाना मिलेगा। यूँ तो कहने को बस्ती के सारे लोग रामू को उसकी चौड़ी काठी के कारण चौधरी कहकर बुलाते थे पर असलीयत में तो उसके घर में खाने को दाने भी न थे। पास गाँव के एक बड़े ज़मीदार के खेतों पर काम करके वह अपना और अपने परिवार का पेट पालता था। वैसे तो रामू के जात वालों के लिए सरकार ने बहुत सी योजनाएँ चला रखी है पर आज भी उसकी उसके जात के लोगों को कुछ लोग घृणा भरी नजरों से देखते है। रामू ने कई बार चंद्रपाल को सामाजिक बातों से...