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एक कहानी ऐसी भी।
यह कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है।
कमजोर दिल वाले कृपया कर इसे ना पढ़े,न ही उत्सा में पढ़े।


आपको एक डरावनी कहानी सुननी है।चलो मै सुनाता हूं। एक गाँव था, 'दादरा'।ये गाँव के नाम पर मत जाइए।इसका एक road है, जहां माना जाता है कि बहुत से लोगो की मौत एक truck से टकराने से हुई है।यह मौत इसलिए नहीं हुई कि वह road सही से नहीं बना होगा बल्कि इसके पीछे का कोई और ही कारण है ।जानना चाहेंगे वो कारण।

वह पर रहने वाले मानते है कि यहां बहुत साल पहले किसी लड़की ने आत्महत्या कर ली थी।जब से ये जगह श्रापित है।तो इस road के मोड़ पर कोई भी आता, उसकी मौत होना निश्चित था।एक बच्चा और उसकी मां और उसकी मौसी,इसी road से जा रहे थे।एक टेम्पु में बैठ कर।और हुआ जैसा आपने सोचा। उनकी मौत हो गई।ठीक उसी जगह।एक अजीब सी smile मौत के बाद दिखाई पड़ी, किसी लड़की की।

एक परिवार 2 भाई,2 बहन, मां-पिता काफी खुश परिवार था।पर उनके छोटे बेटे को पातलिया जाना था।जो कि बस दादरा को पार करते ही आ जाता है।तो वो लड़का अपने परिवार से विदा ले के चला जाता है।

किसी तरह बस train का सफ़र कर के उस गाँव तक पहुंचा।कौन से गाँव 'दादरा'।अरे! उसका नाम बतलाना भूल गया।उसका नाम 'रोहित' है।तो आप कह सकते है कि ये कहानी रोहित की है।तो रोहित -"भैया! पातलिया जाना था ,आप छोड़ दोगे, क्या?(टेम्पु वाले भैया से)। टेम्पु वाले भैया -"क्यों साहब लगता है यहां नए हो,आपको पता नहीं है कि वहा जाने का सिर्फ एक ही रास्ता है।वो भी वो मोड़।एक तरह से मानो मौत के पार जाओगे।"रोहित -"भैया ! मै नहीं मानता, आप बस मुझे वहां छोड़ दीजिए।मुझे एक बहुत ही जरूरी काम से वहां जाना पड़ गया है।" टेम्पु वाले भैया -"माफ़ करना भाई! मै आपको नहीं छोड़ सकता।"

वहीं पर रोहित करीब दोपहर तक बैठा रहा।तभी उसे एक आवाज आई कि कोई चिल्ला रहा था।"पातलिया - पातलिया"।रोहित -"क्यों भाई!पातलिया चलोगे।" गाड़ी वाले भैया - "हाँ! भाई चलेंगे।यह सब पैसेंजर भी वहीं के लिए बैठे है।"कुल मिलाकर 20 होंगे।20 कैसे? वो गाड़ी कुछ बड़ी थी।वो गाड़ी छोड़ी ज्यादा चोड़ी, जिसमें तीन लोग आ जाते एक ड्राइवर के साथ।पीछे कुल दो डिब्बे थे,जिसकी seat कुछ ऐसी थी कि लोग आमने-सामने बैठ सकते थे।रोहित के बैठते ही, वो गाड़ी रवाना हुई,पातलिया के लिए।

अचानक से रोहित के सामने बैठे 3 आदमियों में एक ने बोला -"अरे भाई हम तीनो को कुछ काम आ पड़ा है।"तो वो तीनो उतर गए।रोहित पहली डिब्बी में बैठा था।रोहित पीछे देखता है,तो पता चलता है कि बहुत से लोग उतरते जा रहे है। धीरे-धीरे अब कुछ 10 लोग ही बचे थे। उस गारी में एक रोहित के सामने, 3 ड्राइवर के साथ,एक रोहित के बगल में बाकी तीन पीछे दो औरत और एक बच्चा।बच्चा करीब 7 वर्ष का होगा।

थोड़ी दूर जाते ही ड्राइवर के साथ के 2 आदमी उतर गए।रोहित ड्राइवर से-"ये धीरे-धीरे लोग जा क्यों रहे है?"ड्राइवर -"क्या साहब! ये तो है ही डरपोक। उसी मोड़ से डर गए ,चलो मुझे क्या है इन्होंने पूरे पैसे दिए बस मेरे लिए इतना ही काफी है।आप बिलकुल चिंता मत करो, मैने यह रास्ते पर अपनी पूरी ज़िन्दगी गाड़ी चलाई है,ये सब बस मनगढ़ंत कहानियां है।"रोहित को ड्राइवर की बातो से कुछ राहत मिली।

अब "अरे! अरे! गाड़ी रोको, हमे उतरना है।" रोहित के साथ बैठे उन दो आदमियों ने बोला।ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और उन्हें उतार दिया।अब गारी में बस रोहित ,ड्राइवर और उसके साथ बैठा एक आदमी और पीछे बैठे वो तीन लोग थे।ड्राइवर -"देखिए साहब वो दूर एक पेड़ देख रहे है ,वहीं है वो मोड़ जिससे यहां के गाँव वाले डरते है, पता नहीं क्यों मुझे तो कुछ खास नहीं लगा।"

अब धीरे-धीरे वो मोड़ करीब आ रहा था।क्या आप कल्पना कर सकते है कि अब कौन उतरा होगा?चलिए में बताता हूं।अब वो आदमी जो की ड्राइवर के साथ था।अचानक पागल हुआ और चलती गाड़ी से ही कूद गया।और जैसे ही रोहित पीछे देखा तो पाया कि वो दो औरतें खड़ी है और वो बच्चा रोहित को bye! bye! कर रहा है। शायद! उस आदमी ने पहले ही उनको mirror से उतरा देख लिया होगा।

अब रोहित पीछे से आगे देखता है।चलो ठीक है! यह ड्राइवर तो है।अब वो मोड़ आ गया।सामने से truck आ रहा था।ड्राइवर गाड़ी से ही कूद गया।रोहित और truck की दूरी अब थोड़ी-ही थी। कि रोहित भी कूद गया।

रोहित की जान बच गई।वो कुछ देर में उठा और देखा एक छोटी-सी बच्ची अपना खिलौना लेने के लिए road पर आ गई।सामने से एक bolero आ रही है ।वो उस लड़की को आवाज लगाता है।लेकिन वो लड़की कुछ नहीं सुनती।रोहित -"यह बच्ची को किसी भी हालत में बचाना पड़ेगा।"वो लड़की को बचाने के लिए कूद जाता है, वो बच्ची बच गई।रोहित उठा और देखा वो लड़की बिलकुल सही है।रोहित -"क्या तुम ठीक हो बच्ची।"बच्ची -"हाँ! पर आप नहीं uncle।" रोहित देखता है, तो उसका शरीर वहां bulero के नीचे था।और bulero खाली थी।वो बच्ची हस्ती है।

या
इस कहानी का ये भी अंत हो सकता था कि उस लड़की ने बोला होता -"हाँ! मै ठीक हूं ,uncle"। उस लड़की की मौत के समय जब वह गाड़ी से टकराने वाली थी तो उसे कोई नहीं बचाया।इसीलिए आज उसे किसी ने बचाया, तो वो रोहित को छोड़ देती है।और रोहित पातलिया चला जाता है।

वैसे इसके अंत के लिए मैं खुद भी चिंता में था।आप सब मुझे बताएं इस कहानी का कौन-सा अंत होना चाहिए।वैसे क्या आप कभी इस तरह के गाँव जाना चाहेंगे,गाँव 'दादरा'।ये कहानी दादरा की समाप्त नहीं हुई है।पर कुछ कहानियों का आधुरा रहना ही अच्छा होता है।
आप सब का बहुत-बहुत शुक्रिया इसे पूरा पढ़ने के लिए।🙏🙏🙏
© RR_बेजान