ये कहां आ गए हम ?
घटना २६ जून, २०२० की हैं। कोलकाता के भवानीपूर इलाके के गिरीश चंद्र मुख़र्जी रोड पर सड़क किनारे १२-१३ साल की एक लड़की पीड़ा से छटपटा रही थी। कोई भी उसकी सुध लेने वाला नहीं था। उसकी छटपटाहट साफ बयाँ कर रही थी कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है और उसे तुरंत डाक्टरी चिकित्सा की आवश्यकता हैं। घनी वस्ती होने के नाते काफी लोग तमाशा की भांति इस मंजर को देख रहे थे पर उसकी मदद के लिए कोई भी सामने नहीं आया।
काफी वक्त बीत जाने के बाद उस राह से गुजरती हुई एक महिला की नजर उस बालिका पर पड़ी। मानवतावस उस महिला ने बालिका से जानने की कोशिश की तो पता चला कि उसमें कोरोना के लक्षण हैं और इसी डर से उसके परिवार वालों ने उसे घर से निकाल दिया है। मजबूरन किसी तरह भटकती हुई वह यहाँ तक पहुँच पाई हैं। आसपास के लोगों से पता चला कि वह उस अंचल की नहीं...
काफी वक्त बीत जाने के बाद उस राह से गुजरती हुई एक महिला की नजर उस बालिका पर पड़ी। मानवतावस उस महिला ने बालिका से जानने की कोशिश की तो पता चला कि उसमें कोरोना के लक्षण हैं और इसी डर से उसके परिवार वालों ने उसे घर से निकाल दिया है। मजबूरन किसी तरह भटकती हुई वह यहाँ तक पहुँच पाई हैं। आसपास के लोगों से पता चला कि वह उस अंचल की नहीं...