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मोहब्बतें या भ्रम जाल (भाग6)
नमस्कार दोस्तों
मैं रिमिता अपनी कहानी का अगला हिस्सा लेकर प्रस्तुत हुई हूं दोस्तों अगर यह कहानी आपको अच्छी लगती है तो प्लीज अपने समीक्षा दीजिए ताकि मुझे पता लगे कि मेरी कहानी में क्या कमी रह जाती है




















अगर सारी रात मुकेश नहीं सोया था तो शिखा भी नहीं सोई थी। उसके सामने 4 साल एक फिल्म की तरह चल रहे थे,कितनी कोशिश की थी,कि वह अपनी मम्मी को सब कुछ सच बता दे।शादी के जब 6 महीने बाद उसके ससुराल में इंदर की शादी की तैयारियां शुरू हो गई थी।ऐसे में वह अपने घर कुछ बता नहीं सकती थी, क्योंकि इससे इंद्र की शादी पर फर्क पड़ता,उसने सोचा इंद्र की शादी के बाद वह अपनी मम्मी पापा को सब सच बता देगी अभी इंद्र की शादी हुई थी, कि मम्मी ने भैया के लिए लड़की देखने शुरू कर दी,एक बार फिर यह सोचा कि भैया की शादी के बाद में वह मम्मी को सब बता देगी।पर जब बताने का टाइम आया तो वह कुछ बोल नहीं पाई,क्योंकि उसे अब मुकेश अच्छा लगने लगा था।उसे वह कब, कहां,कैसे,किस तरह ,वो अच्छा लगने लगा वह कुछ नहीं जानती । मुकेश का व्यक्तित्व कुछ गंभीर सा था।वह भरेपूरे शरीर का मालिक था,जब वह मुस्कुराने में तो थोड़ी कंजूसी करता था लेकिन जब मुस्कुराता था तो सच में गजब उठाता था। उसने मुकेश की पसंद ना पसंद,मम्मी से,छोटी से,इंदर से पूछ कर बता कर ली थी,जब भी मुकेश घर आता था उस दिन वह उसकी पसंद के रंग के कपड़े पहनती थी,उसकी ही पसंद का खाना बनाती थी। लेकिन मुकेश पर इन सब का कोई फर्क नहीं...