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योग की महिमा
आज मैं अपनी एक बहुत ही खास और पुरानी सहेली से मिली।
जिससे मिलकर मुझे मेरी सारी परेशानियों का हल मिल गया।उसने मुझे कुछ ऐसा बताया जिसको सुनकर मैं दंग रह गई । और ये कहने पर मजबुर हो गई।कि
सच ..!चमत्कार भी उन्हीं के साथ होता है जो उन में विश्वास रखते हैं।
उसने मुझ से मेरे मुरझाए हुए काले पड़े चेहरे और थुलथुल शरीर को देखकर इसका कारण पूछा....??
तब मैंने उसे अपनी समस्या बताई...सारे टेस्ट करवाएं
जो भी डाक्टर ने कहा वो सब किया मग़र मेरे पैरों का सुजन,पीठ दर्द, शरीर में ऐंठन, थकान और चिड़चिड़ापन
दूर ही नहीं हो रहा है। क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा..? तू चिंता मत कर अब मैं आ गई हूं ना देख तू कैसे फटाफट से ठीक होती हैं। उसने मुझे सांत्वना देते हुए कहा तथा मार्निंग वॉक और योगा करने की सलाह भेंट की....!मैंने एक फीकी मुस्कान के साथ हा में सिर हिलाया..! फिर वार्तालाप को जारी रखते हुए मैंने उससे कहा तुम अपने बारे में तो मुझे कुछ बताया ही नहीं..?? एक संतोषपूर्ण मुस्कान के साथ उसने कहा
अब सब ठीक है। मैंने उसकी बात बीच में ही काटते हुए पूछा अब सब ठीक है से तुम्हारा तात्पर्य.....??
बताती हूं कुछ समय पहले मैं भी तुम्हारी तरह बहुत उदास हताश निराश रहा करती थी।इतनी पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी अपने लिए कुछ कर नहीं पा रही थी। एक समय ऐसा आया मेरे जीवन में जब मुझे लगा जैसे सब खत्म..!अब कुछ नहीं हो सकता..? मुझे पीसीओडी हो गया था।जिसकी वजह से मैं गर्भधारण नहीं कर पा रही थी । डॉक्टरों ने भी मुझे साफ़ साफ़ जवाब दे दिया था। और मैं भी हिम्मत हार चुकी थी.....! अंदर से टूट चुकी थी...!!
विज्ञान जिनकी हम आज इतनी गुणगान करते हैं। उनके मानने वाले उनको जानने वाले डॉक्टरों ने भी अपने हाथ खड़े कर लिए उनका कहना था कि उन से जितना हो सकता था। उन्होंने हर संभव प्रयास किया। मग़र शायद नियति को ये मंजूर नहीं था।
फिर किसी चिरपरिचित ने मुझे आयुर्वेद के बारे में बताया और मैंने उसके कहे अनुसार आयुर्वेद की शरण ली। जहां पर मेरा कोई टेस्ट नहीं किया ना ही कोई दवाई वगैरह ही दिया...
बस थोड़े से रहन सहन में बदलाव लाने को कहा।पैदल चलने की सलाह दी।तथा योग के बारे में बताया । योग एक क्रिया है ।जो शरीर के चक्रों और वात पित्त कफ सभी का संतुलन बनाए रखने में मदद करती है। कोई भी बीमारियां उन्हीं को होती है।जिनकी क्रियाएं असंतुलित हो गई हो।तो योग एक माध्यम है। स्वयं के द्वारा स्वयं को जानने का और क्रियाओं को पुनः संतुलित करने का..!
योग की गरिमा जान कर मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ी..!
मन में एक आश जगी.. शायद मैं ठीक हो जाउंगी..
सोच कर चेहरे पर एक मुस्कान आ गई...!
और तब मैंने पैदल चलना शुरू किया। शुरू शुरू में तो मुझे बहुत दिक्कत होती थी। वज़न ज्यादा होने के कारण। मग़र फिर आदत हो गई।तो थोड़ा ठीक लगने लगा। फिर मैं नियमित रूप से योग करने लगी।
जिससे मुझे काफी फायदा हुआ।मेरा वजन धीरे-धीरे कम होने लगा। मेरी लाईलाज बीमारी पीसीओडी भी खत्म हो गई।वो भी बिना किसी गोली और दवाई के। और कुछ महीनों बाद
मैं प्रेग्नेंट भी हुई और मां भी बनी..!वो भी एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन तीन बच्चों के...!! सच..!!है ना ये चमत्कार.! हमारी प्रकृति में, हमारी हर समस्या का समाधान हैं ।ज़रुरत है तो बस हमें उस पे विश्वास करनें की..! निराशा की जगह आशा की आस रखने की.....!!
किरण