ऐ मेरे मन
ऐ मेरे मन तु कहीं तो ठहर
किसी गली,
किसी नुक्कड़
या किसी दरिया के पास।
क्यूँ तू इतना चलायमान है
कहीं तो विराम लगा अपने चलने की गति पर।
सुख में तु बुनता
प्यारे से ख़्वाब कोई,
दुःख में बहता
आँखों से फ़व्वार कोई,
घृणा में लगती ये...
किसी गली,
किसी नुक्कड़
या किसी दरिया के पास।
क्यूँ तू इतना चलायमान है
कहीं तो विराम लगा अपने चलने की गति पर।
सुख में तु बुनता
प्यारे से ख़्वाब कोई,
दुःख में बहता
आँखों से फ़व्वार कोई,
घृणा में लगती ये...