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खून के प्यासे (लघु कथा)
लाखों की भीड़ लड़ाई-झगड़े आपस में ऐसा लग रहा कि ये इंसान बस एक दूसरे के खून के प्यासे हैं,

बच बचाकर खुद को एक झोपड़ी में छुपा बैठा था एक व्यक्ति
दूसरे देश से आया था घूमने के लिए,
ये सब देखकर इतना आश्चर्य हो रहा काकी जो देश अपने संस्कृति के लिए विख्यात है आने पर ये देखने को मिल रहा?

अरे बेटा ये हिन्दू मुस्लिम समाज के लोग हैं जो आपस में बैर रखते हैं

आखिर ऐसा क्या हुआ धर्म के नाम पर इतना फसाद क्यूं?

बेटा यहां तो आए हर रोज ऐसा देखने को मिलता है, और खासकर तब जब कोई दूसरा मुद्दा ना मिले नेताओं के पास तो, जनता को आपस में ही लड़ाते हैं, भाईचारा के नाम पर तो यह "रेड लाइट" ही दिखेगी तुम्हें बेटा;

जो सबसे बड़ा धर्म है वो तो खत्म ही हो चुका है,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है और वो खत्म हो:
लोगो के जहन में हिंसा की विचारधारा उत्पन्न हो गई है;

काकी यहां से निकलने के कोई रास्ता बताओ
बेटा आज तो नही पर कल निकला जा सकता है क्यूंकि जबतक एकदूसरे के खून से हाथ ना रंग लें चैन ना मिलता इन सभी को।।



© नेहकिताब