...

11 views

“इज्ज़त के व्यापारी„
वैसे तो मैं हमेशा बड़ा,छोटा,अपना पराया,सुख दुःख,लाभ हानि से सदा दूर रही,लेकिन जहां मैं
पल बढ़ रही थी वहीं एक समाज रूपी घड़ियाल
मुंह खोले इन्ही सब चीजों को बड़े ही धूमधाम से
खा पी रहा था, अब मैं सोलह साल की हो गई थी
जब मैं स्कूल रिश्तेदारी,या किसी सामा जिक
कार्यक्रम में जाती,तो लोग बड़ी इज्जत से पेश
आते,जैसे मैं उन सब की नजर में कोई मुख्य अ
तिथि,के रूप में सामिल हुई हूं,एक दिन एक रिश्तेदार ने मुझसे कहा आप बहुत खूबसूरत हैं
अगर आप की मर्जी हो तो हम दोनों शादी कर
सकते हैं,उनकी बात को नजरंदाज करते हुए
मैं एक कदम आगे बढ़ गई,सुबह हुई तो वो मेरे लिए चाय लेकर आए और मेरे हाथ में पकड़ाने
लगे,मैने चाय के कप को पकड़ा लेकिन कप को
उन्होंने नही छोड़ा,तो मैंने कप को छोड़ दिया,
उन्होंने कहा अगर आप चाहें तो मैं पिला दूं,
मैने कहा चाय गर्म होती है इसलिए इसे पीने वाला
अपनी सहनशीलता से ही पी सकता है,आप चाय
कैसे पिला सकते हैं,यही सब बात हो रही थी कि
उनकी भाभी ने ये कहते हुए की वाह क्या बात है दस्तक दे दीं,, मैं चुप हो गई,लेकिन उनकी भाभी ने बाद में मिर्च मसाला लगा कर ये बात अंदर ही
अंदर फैला रही थीं,अब लोग मुझे और पैनी नजर से देखने लगे थे,मुझे शर्म लग रही थी कि ये लोग
मुझे इतना क्यों देख रहें हैं, मैं घर आई तो महसूस
किया की जो लोग इज्जत देते हैं वही लोग इज्ज़त
लेते भी हैं,इसलिए आगे से इन इज्जत के व्या पा रियों, से थोड़ा दूर ही रहना चाहिए!!