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इश्क इबादत 4
हां तो दिन गुजरते है आज वैष्णवी का पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन का सप्राइज टेस्ट चल रहा है और सीटिंग अरेजमेंट ऐसे हुई की विश्वास वैष्णवी अगल बगल बैठे। और पहली बार विश्वास ने वैष्णवी से कुछ पूछा हां•••• चीटिंग ही, सही समझ रहे है आप लोग।मगर बाते तो इतने हक से कर रहा था जैसे बरसों से दोस्त हो,वैष्णवी का दिल धड़क गया उफ्फ उसकी आवाज़। हम् इसी तरह विषयों के शंका निवारड़ हेतु दोनो अक्सर एक साथ क्लास खत्म होने के बाद भी घंटो बैठने लगे कुछ पढ़ाई कुछ बाते दोस्ती परवान चढ़ने लगी थी दोनो की।कुछ तो विश्वास के मन में भी था।शायद सिर्फ दोस्ती। उसकी आदत थी वो कुछ भी सीधे न कहता। उसके मन में कोई झांके उसे पसंद नहीं था शायद।नवोदय का पढ़ा ये लड़का वैष्णवी के दिल में प्रेम का नवोदय कर रहा था।एक दिन विश्वास एक बड़ी सी चॉकलेट ले आया डेरी मिल्क बड़ी वाली (उस वक्त तो बहुत बड़ी बात हुआ करती थी 2004 की बात कर रही हुं।)वैष्णवी को दी क्लास में सबके सामने वैष्णवी उछल पड़ी खुशी से
वैष्णवी - मेरे लिए लाए हो तुम।
विश्वाश - नही, किसी और के लिए लाया था पर दे नही पाया अब तुम खा लो।
वैष्णवी - नही, कल दे देना तुम जिस के लिए लाए हो। मुझे नहीं खानी मुझे पसंद भी नहीं
विश्वाश- अच्छा तू पहली लड़की है जिसे चॉकलेट पसंद नही। भाव मत खा चॉकलेट खा, ले मेरे लिए ही सही।
वैष्णवी चॉकलेट रख लेती है मगर खाती नहीं है।
#shubh
to be continued

© shubhra pandey