...

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बचपन
पूरे क्लास में अजीब सी शांति थी और जैसे ही छुट्टी की घंटी बजी पूरे स्कूल में हल्ला मचने लगा। अनु और नीशु तेजी से अपनी साइकल की दौड़े। रास्ते भर मस्ती करते दोनो चलते। घर आते आते दोनो की हालत ऐसी हो जाती जैसे मिट्टी में लोट कर आये हो। हे भगवान पढ़ने जाते हो या मजदूरी करने कल ही यूनिफॉर्म धुली और आज सत्यानाश कर दिया अनु की माँ ने सिर पर हाथ रखते हुए कहा। अनु बात अनसुनी करके अपने कमरे की तरफ चल दिया। कमरे में जाते ही अनु ने जल्दी से कपड़े बदले और किचन में बड़े ठाट से मम्मी खाना दो जल्दी । नवाब साहब को खेलने की देर हो रही है ना माँ ने थोड़ा मुस्कुरा कर बोला। खाना ख़तम करके अनु अपनी मंदिर के पीछे वाले पार्क मे पहुँचा सारे दोस्त पहले ही आ चुके थे तु हमेशा लेट होता है कछुआ है तु हमारे ग्रुप का एक दोस्त ने कहा। अच्छा चल. बस यूँ ही मस्ती मौज़ में दिन कट रहे थे। फिर एक दिन आया जब कॉलेज में कदम रखा अनु और निशु जो बेस्ट फ्रेंड थे दोनो ने एक ही कॉलेज मे एडमिशन लिया। कॉलेज की कैंटिन सब दोस्तो का अड्डा बन गयी थी कभी किसी बात पे एकदूसरे की खिचाई करना, एकदूसरे से न जाने कितने पैसे लिए दिये थे पर कभी कोई हिसाब नही रखता था। आपस मे चाहे जितनी भी गालिया दे मारे पिटे पर कोई और छु तक ले तो उसकी खैर नही सच्ची दोस्ती यही तो होती हैं कॉलेज खतम हुआ सब अच्छी जगह जॉब करने लगे अपने आप मे busy हो गए अनु यानी अनिरुध सिंह जो कंपनी क मैनेजर डिरेक्टर बन गया था तो काम भी बहुत होते थे कभी एक दो फोन काल हो जाया करती थी महीने मे शहर की भगती दुनिया मे एक दिन अनु अपने बालकनी पर खडा दूर फैली रोशनी को देख रहा था ये रोशनी लाइट हाउस से आ रही थी।बचपन मे जब नीशु ऐसी रोशनी देखता था तो कहता था यार आज पता है आसमां मे दो चाँद निकले है। अनु ने एक हल्की सी मुस्कान के साथ कहा। और मैं कहता था पागल वो लाइट है । क्या दिन थे वो भी ये कहते हुए अनु ने इत्मिनां की सास ली और फोन पर एक काल की निशु को और बोला मैं आ रहा हु तेरे पास छुट्टियां लेले ऑफिस से घूमने चलेंगे। कहा निशु ने एक्साइटेड होते हुए पूछा। अनु ने मुस्कुरा कर बोला " बचपन " में।

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© Vvians( vaishnavi)