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कामयाबी की प्रतियाशा का उगता सूरज
माँ बाप के द्वारा धीरेंद्र नाम दिए जाने के बाद भी खेत में मेहनत मज़दूरी करने वाले धीरेंद्र को बाकी सभी मज़दूर और मुंशी भी उसे उसके नाम धीरेंद्र से न पुकारकर उसके नाम का मज़ाक उड़ाते हुए धीर धीरे कहकर पुकारा करते थे। धीरेंद्र को कभी भी इस तरह किसी के द्वारा उसका नाम गलत बोलने पर कोई हीन भावना या किसी तरह का कोई गुस्सा उसके चेहरे पर नज़र नहीं आता था। धीरेंद्र के परिवार में उसके चार बच्चें, बीवी और बुढ़ी माँ थी। उसके चारों बच्चें अपने घर के हालातों को अच्छी तरह जानते थे इसलिए चारों बच्चों में कभी भी कोई भी धीरेंद्र से किसी तरह की ज़िद नहीं करते थे। धीरेंद्र को कभी कभी अपने बच्चों की इस हरक़त पर संतुष्ट का अनुभव होता था तो कभी कभी ख़ुद के प्रति ग्लानि की भावना...