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अपनों से हार
वैद्य रामफल आसपास के गांवों में अपनी दवा दे कर लोगों का कल्याण तो करते ही साथ ही साथ अपने परिवार का भी भरण पोषण करते।एक लड़का और पत्नी इनके अतिरिक्त परिवार में थे।पांच वर्ष के पुत्र को छोड़कर पत्नी चल बसी।अब बच्चे की जिम्मेदारी भी रामफल पर ही आ गई।
एक दिन दवा कर के दूसरे गांव से लौट रहे थे कि रास्ते में यमदूतों ने उन्हें पकड़ कर यमराज के पास ले कर चले गए,यम को देखकर वैद्य जी को अपने पुत्र की चिंता होने लगी कि वह सात साल का बालक कैसे रहेगा।
चित्रगुप्त जी ने जब रजिस्टर में देखा तो किसी दूसरे रामफल की जगह यमदूत वैद्य रामफल को लेकर आ गए थे,फिर क्या...