...

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इश्क़ एक गुनाह है।
Part5.

खुदा खैर करे ये मुझे क्या हो रहा है मैं अम्मी की बातों से सहमत क्यों नहीं हूॅं? क्यों मुझे बार बार कशिश का ख़्याल दिल में बेचैनी पैदा कर रहा है? मैं तो कशिश को हराना चाहता था आज उसके लिए इतनी हमदर्दी क्यों हो रही है? कहीं मैं सच में तो कशिश से मोहब्बत नहीं करने लगा या अल्लाह ये कैसी कैफियत है? साहिल बहुत ख़ामोश और मायूस हो जाता है उधर कशिश पूरे तरीके से साहिल की मोहब्बत में गिरफ्त हो चुकी थी आज पहली बार कशिश अच्छे तैयार हुई थी वो भी साहिल के लिए पिंक कलर के अनारकली सूट में कशिश गज़ब की ख़ूबसूरत लग रही थी हाथों में पिंक कलर की चूड़ियां कानों में झुमके जो साहिल ने उसकी सालगिरह पर दिए थे कशिश कुछ अलग सी लग रही थी क्योंकि आज से पहले उसने इतना हार सिंगार कहां किया था। हमेशा बालों में तेल लगाए उन्हें टाइट चोटी में बांध कर रखती थी आंखों में चश्मा लगाए हाथों में किताबें लिये वह लड़की कम चलती फिरती लाइब्रेरी लगती थी। आज उसने अपने बालों को धो‌कर उन्हें खुला ही छोड़ दिया था। उसने खुद को शीशे में देखा और देखते ही शरमा गई। ओह हो ये आज मुझे क्या हो रहा है दिल इतना ज़ोरों से क्यों धड़क रहा है? मैं इतना क्यों शरमा रही हूं साहिल के पास जाने से वह खुद से ही बोले जा रही थी। न करते करते वह साहिल की मोहब्बत में कैद हो गई थी और वह आज अपनी मोहब्बत का इज़हार साहिल के सामने करने के लिए उसके कमरे की तरफ़ जाने लगी उसने बाहर आकर देखा कोई उसे देख तो नहीं रहा है और जल्दी जल्दी वह साहिल के कमरे की तरफ़ जाने लगी जैसे ही वह साहिल के कमरे के बाहर पहुंची थोड़ा घबराई थोड़ा शरमाई उसने कमरे में छांक कर देखा तो साहिल फोन‌पर बात कर रहा था साहिल की आवाज़ तेज़ थी और बाहर तक आ रही थी। साहिल शानू से कह रहा था आज मैं कशिश को सब सच सच बता दूंगा अब मुझसे ये खेल नहीं होता इन सबसे मैं थक गया हूं शानू तूने कहा था लड़कियों का दिल मोम की तरह नाज़ुक होता है कशिश पर तो इन बातों का कोई असर न हुआ इतना सुनते ही कशिश के पैरों तले से जमीन खिसक गई और उल्टे कदम वापस हो गई आंसू थे कि रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे रोते रोते वह अपने कमरे में चली गई और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया। इधर साहिल शानू से यार कशिश पर तो मेरी मोहब्बत का असर नहीं हुआ लेकिन ये खेल खेलते खेलते मैं खुद उससे मोहब्बत कर बैठा आज मैं उसे सब कुछ बता दूंगा कि मैं उसे कितना चाहने लगा हूं शानू साहिल तू होश में तो है तू तो उसे हराना चाहता था और आज खुद ही हार गया। साहिल कशिश बहुत मासूम है उसमें किसी तरीके का फ़रेब नहीं है बहुत साफ दिल की है। उसकी इसी अदा पर साहिल फिदा हो चुका है दिल ओ जान से साहिल शानू से तू फोन रख मैं कशिश के पास जा रहा हूं। शानू सुन तो मेरी बात साहिल ने तब तक फोन कट कर दिया था।

© Hina

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