...

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उसका वो शहरी लिबास ❤
यूँ तो वक्त किसी के लिए नहीं रुकता हमें न चाहते हुए भी वक्त के साथ बदलना पड़ता है और शायद इक तरीके से सही भी है!!!!
चलिये अपनी कहानी का आग़ाज करते हैं और कहानी की रोचकता में डूबते हैं।

माँ : गौरी.....
बेटा कहाँ रह गई तु????
चल हमें निकलना सफर के लिए नहीं तो ल हम लेट हो जायेंगे गौरी.....
गौरी : हाँ हाँ माँ आई बस ये कुछ खाने को रख रही थी सफर में आपको कोई परेशानी न हो इसलिए!
माँ : अच्छा अच्छा ठीक है चलो आओ घर में सब देख लिया न कुछ छूटा तो नहीं है????
गौरी : नहीं माँ.... सब देख लिया जो छूट रहा वो ले लिया है और ताला भी ले...