...

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आए दर्द! मैंने तुझे जीत लिया!
दर्द मुझे भी दिया किस्मत ने,
पर सब दर्द पा कर बिखरते गए,टूटते गए,और अपने आप को कोषते गए।
और मैं?
मैं तो निखर गई, अपने कर्मो से और अच्छी सोच से अपनी किस्मत को बार बार लिखने की कोशिश की बिना हारे।
और आज मेरे पास मेरे अपनी बनाई हुई प्यारी दुनिया है जहां एक स्वर्ग जैसा महसूस होता है।
बहुत प्यारे प्यारे लोग है, जो एक दूसरे से प्यार करते हैं।
मैंने कभी किसीसे कुछ नहीं चाहा।
बस खुदको ऐसे बना दी की जैसे मैं दुनिया को देखना चाहती हूं।
अब मुझे सब कुछ वैसे ही मिल गई जैसे में हूं।
दर्द आई थी मुझे संवारने,
मैंने दर्द से सीखा,
कहां मेरी कमी है और कहां मेरी भूल है।
कहां और क्यों दर्द होता है।
ईश्वर हर किसीको दर्द देता है,
पर उस दर्द से उभरने की ताकत और खुदको संवारने की हिम्मत यह आप तय करते हो।
आज मुझे जो देखता है कहता है,
वह! तुम तो बहुत खुस हो, प्यारी हो, तुम्हारे साथ कभी कुछ हुआ नहीं।
तुम्हे नहीं पता दर्द क्या होता है।
अब में क्या बताऊं ?
में मन ही मन मुस्कुराती हूं,
और सोचती हूं की ऐसा जरूरी तो नहीं की दर्द के बादाप और कठोर बन जाओ।

मुझे तो दर्द और नाजुक बना दी,
मुझे तो दर्द खुदसे प्यार करना सिखा दी,
मुझे तो दर्द बिना स्वार्थ के सबको प्यार करना और सबके मन को समझना सीखा दी,

आज में जो भी हूं, आए दर्द! तेरे वजह से हूं।
तू एक अश्रीबाद है, पर लोग बिना तुझे समझे तुझे कोषते हैं।

आए दर्द! तू तो आइना है इंसान के सोच का!
तुझे जो पकड़कर रखना चाहता है तू रह जाता है!

पर में तुझे प्यार की, आए दर्द! मैंने तुझे समझा और तुझको जीत ली!
आज मुझे दर्द नहीं होता!
आज मेरे लिए दर्द एक आश्रीवाद है, ईश्वर से जुड़ने के लिए!

आए दर्द! मैंने तुझे जीत लिया!
© dikshya