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A AaRAv step _ Azkan ( Part 2 )
" यहा अजवा ने गुप्तचर को महल के मार्ग से प्रस्तुत होते ही वन में बाध्य किया और दूत को दंड स्वरूप उसे मृत्यु दण्ड दे दिया ।"


_ संसार के निर्माण की आधार शीला तो केवल प्रेम ही थी , किंतु  हीनता की भावना ने प्रेम अतिरिक्त हृदय मन में घोल दिया लोभ , पद , ईर्ष्या, कपट , वैभव प्राप्ति और आसुरी प्रवृत्ति स्वरूप वास्तविकता से कई जीव अन्य दिशा में परिवर्तित हो गए ।" 


._. क्या श्रेष्ठ आरव के लिए यह समस्या और श्वेत प्रकाश की रक्षा का विषय तनिक भी कठिन  हैं , किंतु सभी अपनी ओर माया का और सम्पूर्ण शक्ति का प्रयोग कर रहे थे ! इस विषय को पूर्णतः भूल कर की यह देव स्वयं ही महा माया के स्वामी है जिनकी इच्छा मात्र से कठोर और संघिन्न चक्रव्यूह क्षण भंगुर में टूट जाए । 


{ आरव के देवीय अवतार के पश्चात संसार में एक ओर शांति स्थापना अवश्य हुई किंतु दूसरी ओर द्वितीय लोक से वामिनों प्रवेश हुआ  मुनिर शाह का । सभी आशीष हेतु नर मस्तक थे तो मुनीर पूर्णतः सज्ज़ थे प्रत्येक के मस्तक और संवेदना को रोधने के लिए । }



 " श्रेष्ठ कनव अपने मामा श्री के वचन अनुसार अपने स्वामित्व पद पर विराजमान होते है किंतु यह इतना सरल नहीं था । " 

श्रेष्ठ कनव मानसिक स्वास्थ्य संतुलित करे इससे पहले ही...