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बड़ो का कहना
चम्पक खरखोश हर समय उछल कूद मे मस्त रहता था । उसकी यह आदत उसके दादा प्यारे लाल को बहुत बुरी लगती थी ।वह अक्सर उसे समझाते थे । लेकिन जब भी दादा जी उसे कुछ कहते तो चम्पक की माँ शीला दादा जी को कहती. .

शीला: -पिता जी ,अभी यह छोटा बच्चा है जैसे बड़ा होगा सब कुछ समझ जायेगा ।

प्यारेलाल: -ये तो मुझे भी पता है बहु, लेकिन यह और बच्चों से ज्यादा शरारत करता है । मुझे तो यह डर है कि कहीं ये किसी बड़ी मुसीबत मे ना फंस जाये

लेकिन उस बूढ़े की बात कौन माने ,अक्सर घर परिवार मे ऐसा ही होता है । हम अपने बड़ो के यह कहकर चुप करवा देते है कि आपको क्या पता नए जमाने का ,आप ठहरे पुराने जमाने के

समय बीतता गया अब चम्पक बड़ा हो चुका था । चम्पक के दादा जी अब काफी बूढ़े हो चुके थे । अब चम्पक दोस्तों के साथ देर रात को आने लगा । एक दिन वह काफी देर से आया तो उसके दादा जी ने चम्पक के पिता गोलू खरखोश को अपने पास बुलाया ।

चम्पक के...