व्यथितता भी झणिक हैं..
आजकल न सम्बन्ध केवल स्वार्थ पूर्ति के लिए बनते हैं..
समय के साथ न जाने क्या हुआ, 'शायद बचपन की आदतों ने विकराल रूप धारण करने पर जोर दे दिया है', जो आज ये चित्त हर जगह से व्यथित रहता है..
हम क्या थे? क्या हैं? और क्या होंगे? जब कभी बहार निकलता हूँ तो पता चलता है कि लोग वर्तमान नहीं, या तो आपके अतीत पर चर्चे करेंगे अथवा आपके भविष्य पर..
अगर आप शिष्टाचार के नियमों को गहराई से नहीं जानते हो न , तो किसी को ज्यादा सम्मान नहीं देना चाहिए, आप का व्यक्तित्व कैसा है? या कैसा रहेगा? इस बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए, यार! कुछ लोग स्पष्ट हृदयी, दयालुता, सहानुभूति से भरे हुए होते है, वे लोग न हमेशा समतुल्य रहना पसंद करते हैं, सही कहा जाता है कि जो लोग हसते रहते हैं, मनोरंजन कराते रहते हैं , चाहे वह अपना मजाक कर रहे हों.. यार बहुत परेशान रहते हैं...
परेशानी न सबके साथ होती हैं, पर कोई उन्हें जी जा जाता है और कोई उनसे टूट कर बिखर जाता है, पता है, ये टूटे हुए मोतियों को न केवल कुछ लोग ही पिरोना जानते हैं, तो पहली बात तो कुछ भी हो जाऐ कभी टूटना नहीं, क्योंकि ये जो जोडने वाले होते हैं न, इन्हें लोग समझ नहीं पाते क्योंकि ये वही...
समय के साथ न जाने क्या हुआ, 'शायद बचपन की आदतों ने विकराल रूप धारण करने पर जोर दे दिया है', जो आज ये चित्त हर जगह से व्यथित रहता है..
हम क्या थे? क्या हैं? और क्या होंगे? जब कभी बहार निकलता हूँ तो पता चलता है कि लोग वर्तमान नहीं, या तो आपके अतीत पर चर्चे करेंगे अथवा आपके भविष्य पर..
अगर आप शिष्टाचार के नियमों को गहराई से नहीं जानते हो न , तो किसी को ज्यादा सम्मान नहीं देना चाहिए, आप का व्यक्तित्व कैसा है? या कैसा रहेगा? इस बात को हमेशा ध्यान रखना चाहिए, यार! कुछ लोग स्पष्ट हृदयी, दयालुता, सहानुभूति से भरे हुए होते है, वे लोग न हमेशा समतुल्य रहना पसंद करते हैं, सही कहा जाता है कि जो लोग हसते रहते हैं, मनोरंजन कराते रहते हैं , चाहे वह अपना मजाक कर रहे हों.. यार बहुत परेशान रहते हैं...
परेशानी न सबके साथ होती हैं, पर कोई उन्हें जी जा जाता है और कोई उनसे टूट कर बिखर जाता है, पता है, ये टूटे हुए मोतियों को न केवल कुछ लोग ही पिरोना जानते हैं, तो पहली बात तो कुछ भी हो जाऐ कभी टूटना नहीं, क्योंकि ये जो जोडने वाले होते हैं न, इन्हें लोग समझ नहीं पाते क्योंकि ये वही...