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मां की ममता...!!
माँ की ममता !

ममता - वो भावना है जो एक नन्ही सी जान को अपना ही एक अटूट हिस्सा मान कर उसे सारी जिंदगी प्रेम , हौसला और सही राह दिखाने का बीड़ा उठाती है !

पर ये ममता सिर्फ अपने शरीर से निकले बच्चे के लिए ही होगी , ये कहाँ तय किया गया है ?
ममता तो वो सुकून है जिसमें भटकता हुआ राही भी शांत हो जाए !
ममता तो ऐसा भाव है जो अपनेपन का सुख दे , निस्वार्थ होकर बस भला चाहे , खुशी चाहे अपने बच्चे की !

तो क्या फरक पड़ जाएगा अगर ये ममता एक माँ , किसी और माँ के अनाथ हुए बच्चे पर उसारे ? क्या उस बच्चे की मासूमियत किसी अन्य बच्चे से कम होगी ?
क्या उस अनाथ बच्चे की हँसी से घर नहीं गूंजेगा ? क्या उस बच्चे की हँसी में दिल को खुश कर देने वाला स्वर नहीं होगा ?
क्या उस बच्चे की तुतलाती बोली में माँ और पापा सुनकर ज़िंदगी में नया मधुर गीत नहीं बजेगा ? क्या उसकी नादानियां , शैतानियाँ और भोलापन सुख नहीं देगा ?
क्या उस बच्चे को , जिसे पता तक नहीं कि वो अनाथ क्यों और कैसे , अपनाना कोई बहुत कठिन कार्य हो जायेगा ?

क्या गलती है उस मासूम की , जो स्नेह पाने और मस्त मौला होने की उम्र में , वह परिवार से वंचित किसी अनाथ आश्रम में अपने भाग्य को कोस रहा है ?
उसका गुनाह क्या ये है की उसके माता पिता की आर्थिक स्थिति ऐसी ना थी की उसके कई भाई- बहनों के बाद उसे भी पाला जा सके ?
या उसकी गलती थी कि उसके जन्म की कीमत और उसका सौदा पहले से तय था ?
या वो नन्हा सा फरिश्ता अपने लिंग के कारण बेच या छोड़ दिया गया ?
उसकी गलती शायद ये भी हो सकती है कि उसके जन्म दाताओं ने गर्भ निरोधक दवा और उपाय की परवाह तक ना की ?

! खैर ! वजह चाहे जो हो , ये तो साफ है की जिस भी गलती की सज़ा के रूप उसे अनाथ रहने का भाग्य मिला , वह उसकी थी ही नहीं !

सोचने वाली बात यह है की आजकल के ' पढ़े लिखे ' , ' मॉडर्न ' , ' खुली सोच ' वाले शादी - शुदा जोड़े अपना परिवार आगे बढ़ाने , ' अपना ' बच्चा पाने कई अस्पतालों के , IVF सेंटर्स में , झाड़ - फूँक में , अंधश्रधा में अपना वक़्त , पैसे और समझ खोने के लिए तत्पर होते हैं , लेकिन एक मासूम जान को गोद लेने में उनकी रूह काँपती है !
उन्हें जाती - धर्म , अच्छा - गंदा खून , पवित्र अपवित्र सब कुछ याद आने लगता है !

क्या हमारा " मैं " और उसकी परिभाषा इतनी सिमट गई है कि हम ममता को भी बाँटने लगे ?
ममता जो समस्त दुनिया को चलाती हैं,
जो धरती पर जीवन चक्र बनाए रखती है ,
जो हर रिश्ते में सबसे ऊपर है,
वो भाव जो किसी खून के रिश्ते का मोहताज नहीं ,
उस ममता को हम अपनी छोटी सोच में कैद कर उसके सार पर ही उँगली उठा देते है !

भावनात्मक रूप से जब तक हमारा " मैं सिर्फ स्वयं और इस शरीर से जुड़े रिश्तों तक है , तब तक माँ की ममता का दायरा भी बहुत खोखला और छोटा है !


ममता एक भाव है , जो सिर्फ जैविक संबंध तक सीमित नहीं , ये तो किसी को भी अपना बना , उसे जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी दे सकता है , वो जादुई भाव है !

इस अहंकार से बचियेगा कि आप एक बच्चे को गोद लेकर कोई एहसान कर रहे हैं ,
सही मायने में आप बस अपना मनुष्य जीवन सार्थक कर रहे है !

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© Saloni saradhana 😎