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प्यारी सासू मां

मेरी सास की एक वो बात जो मुझे बहुत गर्व महसूस कराती है वो मैं आज आप से सांझा करती हूं।
मेरी शादी तय हो गई थी तारीख 1दिसम्बर2002थी।उसके पहले सगाई और तिलक एक दिन में ही होना तय हुआ ।मैं लखनऊ की थी जहां की शाम प्रसिद्ध है। होने वाले पति बनारस के जहां कि सुबह प्रसिद्ध है। ससुराल पक्ष का कहना था कि सगाई और तिलक बनारस में कर लेते हैं और बारात लखनऊ ले कर आ जाएंगे। मेरे घरवाले मान गए।
28नवम्बर की तारीख सगाई के लिए तय हो गई।मै और हमारा परिवार 12बजे के आस-पास बनारस पहुंच गया। पहले सगाई की रस्म शाम सात बजे हुई।अब तिलक होना था ,हमारे परिवार की परम्परा थी कि लड़की जिसकी शादी हो रही है वो तिलक नहीं देखती है। ये हुआ कि जिस होटल में हम रूके थे वहां के कमरें में हमें छोड़ कर सब लोग नीचे गार्डन एरिया में जहां तिलक की रस्म होनी थी चलें गए। सास ने देखा कि मैं नहीं हूं उन्होंने मेरी मम्मी से पूछा कि ज्योति कहां है। मम्मी ने बोला कि वो होटल में है तब सास ने पूछा क्यूं मम्मी ने बोला वो तिलक में नहीं आ सकती ना इसलिए। सास ने कहा कि वह सब ठीक है लेकिन अकेले उसका वहां रहना ठीक नहीं है और बोर भी हो जाएगी आप उसको बुलवा लीजिए हम सब के बीच रहेगी तो अच्छा रहेगा हमें कोई एतराज़ नहीं है।
मैं और मेरा परिवार मेरी सास की इस सोच से और मेरी जो चिंता थी उसे देखकर बहुत प्रभावित हुए। मैं अपने खानदान की पहली लड़की थी जो कि अपनी शादी का तिलक देख रही थी और खुश हो रही थी। सिर्फ अपनी प्यारी सास की वजह से।यह दिन मेरा बहुत खूबसूरत दिन बन गया।