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नृत्य: मेरे प्रेम और भक्ति की परिभाषा"
मुझे नृत्य से उतना ही प्रेम है जितना महादेव से, यानी अनंत। मैं हर दिन नटराज का नाम लेकर नृत्य करती हूं। नृत्य करना मेरे लिए एक तपस्या की तरह है। जिस प्रकार भक्ति में समाधि में बैठकर ईश्वर का ध्यान करते हैं, उसी प्रकार नृत्य करके मैं अपने आप से जुड़ती हूं। आखिर मेरे अंदर भी तो पूरा ब्रह्मांड है, क्योंकि शिव और शक्ति तो हर किसी में निवास करते हैं। नृत्य मेरे लिए पूजा है, क्योंकि नृत्य करके मैं खुलकर अपने आप को महसूस करती हूं। मुझे एक माध्यम मिल जाता है नृत्य के देवता नटराज यानी महादेव से जुड़ने का।

मैंने कभी भी नृत्य नहीं सीखा है। जब मैं नौवीं कक्षा में थी, तब मेरी नानी जी ने अपने घुंघरू मुझे दे दिए। तभी से मैं नृत्य से जुड़ गई, जैसे मैं मीरा हूं और नृत्य हमारे कन्हैया हैं। भक्त अनेक प्रकार से ईश्वर के प्रति अपने प्रेम और सद्भावना को व्यक्त करते हैं। कोई भजन गाते हैं, कोई फूल अर्पित करते हैं, और मेरे जैसे कुछ लोग नृत्य के माध्यम से महादेव का आह्वान करते हैं। नृत्य मेरी प्रेम और भक्ति की परिभाषा है।
© pari Devi The great