जमीं हुई नदी
*कहानी1: जमी हुई नदी*
सुमित और रोहित लद्दाख के एक छोटे से गाँव में रहते थे। एक बार दोनों ने फैसला किया कि वे गाँव छोड़कर शहर जायेंगे और वहीँ कुछ काम-धंधा खोजेंगे। अगली सुबह वे अपना-अपना सामान बांधकर निकल पड़े। चलते-चलते उनके रास्ते में एक नदी पड़ी, ठण्ड अधिक होने के कारण नदी का पानी जम चुका था। जमी हुई नदी पे चलना आसान नहीं था, पाँव फिसलने पर गहरी चोट लग सकती थी।
इसलिए दोनों इधर-उधर देखने लगे कि शायद नदी पार करने के लिए कहीं कोई पुल हो! पर बहुत खोजने पर भी उन्हें कोई पुल नज़र नहीं आया।
रोहित बोला, “हमारी तो किस्मत ही खराब है, चलो वापस चलते हैं, अब गर्मियों में शहर के लिए निकलेंगे!
“नहीं”, सुमित...
सुमित और रोहित लद्दाख के एक छोटे से गाँव में रहते थे। एक बार दोनों ने फैसला किया कि वे गाँव छोड़कर शहर जायेंगे और वहीँ कुछ काम-धंधा खोजेंगे। अगली सुबह वे अपना-अपना सामान बांधकर निकल पड़े। चलते-चलते उनके रास्ते में एक नदी पड़ी, ठण्ड अधिक होने के कारण नदी का पानी जम चुका था। जमी हुई नदी पे चलना आसान नहीं था, पाँव फिसलने पर गहरी चोट लग सकती थी।
इसलिए दोनों इधर-उधर देखने लगे कि शायद नदी पार करने के लिए कहीं कोई पुल हो! पर बहुत खोजने पर भी उन्हें कोई पुल नज़र नहीं आया।
रोहित बोला, “हमारी तो किस्मत ही खराब है, चलो वापस चलते हैं, अब गर्मियों में शहर के लिए निकलेंगे!
“नहीं”, सुमित...