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डायरी, पेन और चाय .......
जिसे आजकल ज़माना महोब्बत कहता है
हम दूर रहते है ऐसे लिखने वालो से क्युकी
वो कितना भी राधेश्याम की या भोलेनाथ की
तस्वीर लगा ले उनके अनुयायी और टिप्पणी
बता देते है उनके माँ बाप दोस्त संगत के बारे मे
ऐसी ही कुछ महान लेखिकाये है यहाँ भी है एक से उम्दा जिनको साहित्य का पता नही बस like
follow मिले बदले कोई भी चूतिया कुछ भी cmnt करे काश इनके माँ बाप को पता हो की उनकी बिटिया रानी कितना अच्छा लिखती है
बहुत बड़ी writor है एक नही सौ सौ लड़के follow किये है चाहें उनको समझ आये ना आये पर तरक्की तो कर रही है न बाकी इंस्टा फेसबुक, पर तो उसके पास rply का भी time नही कितनी मेहनत कर के लिखती है बेचारी 😅😅😅 do line इसकी दो line उसकी थोड़ा सा मसाला भावनाओ का ताकि सच लगे
इन जैसे लोगो ने writco को भी ऐसा ही कर दिया अब नही मन करता लिखने का यहाँ but
देख कर हसी बहुत आती है की कुछ साल पहले की बात है सब कितना सही लगता था
लोग सुझाव और नजरिया रखते थे cmnt मे
कुछ लोग थे जो सच मे दिल निकाल कर रख देते थे शब्दो मे वो अब नही दिखते काफी ढूँढ़ा
शायद वो इन###### की वजह से हट गए क्युकी उनको अंदाज़ा हो गया था शायद की जब प्रेम और मित्रता का मतलब ही बदल गया इस पीढी के लिए तो ये उनकी रचनाओ को भी वैसे ही पढेगे और समझेंगे तो बेहतर है डायरी ही एक दोस्त की बात आज भी याद है जिसने कहा था की यहाँ बस थोड़ा बहुत लिखा कर बाकी डायरी पेन का सुकून ही अलग है और वैसे भी यहाँ सबको देखले सबके दिल टूटे है सबको attention sympathy lobe चाहिए तो अपने शब्दो को इनकी इस मंडी मे सस्ते मे मत बेच ये लोग
यहाँ साहित्य नही मज़ा ढूँढते है अब आकर बात समझ आई
की डायरी पेन का सुकूँ एक ☕ के साथ क्यों इस बाजार से बेहतर है काश आप भी होते डॉक्टर साब मिस यूं आप ऐसे ही लिखते रहिये without a goodbye... पढ़ा मैंने आपका
बहुत ही मार्मिक क्या ही कहना काश आप होते.... डायरी, पेन, और चाय पर आज भी....
© ✍️Guru.d.sharma