लाल गुलाब 🌹 Eid Mubarak
"सारी हवेली को रंगबिरंगी रौशनियों से सजा देना.सजावट में किसी तरह की कोई कमी नहीं होनी चाहिए. रंगबिरंगे फूलों से हवेली के दरवाज़े की सजावट करवा देना.मेहमानों के आने वाले रास्ते लाल गुलाब की खुशबु से महका देना.और ये लाल पीले नीले चमकदार रंगों के दुपट्टों से पर्दे जैसी सजावट करना.
रुखसाना ... ये दिए अभी तक नहीं जलाये हैं..जल्दी करो मेहमानों के आने का वक़्त हो रहा है. बाकी और तैयारियाँ भी होनी है. क्या ईद का सामान और पीले फूल मँगवा लिये गये हैं?
सुनो.. दीवार की सजावट के लिए शीशे और रिबन कहाँ रखे हैं उन्हें भी अभी लगा दो.दियों को फूलों से सजी हुई थालियों में रखना.
अच्छा तुम सब जल्दी से इन कामों को पूरा करो मैं ज़रा किचन में जाकर काम देखती हूँ. "रूही अपने नौकरों को ईद की तैयारियाँ समझाकर किचन की तरफ बढ़ गयी थी.
रूही के घर में बहुत धूमधाम से ईद का त्यौहार मनाया जाता रहा है.एक महीने पहले से ही ईद की तैयारियाँ शुरू हो जाती है ..ईद के नजदीक रूही को एक लम्हें की भी फ़ुरसत नहीं होती थी.
रूही के शौहर जमाल के चार भाई और दो बहनें थीं. सभी की शादियाँ हो गयी थीं और सभी शहर में रहते थे. जमाल और रूही गाँव में ही अपने वालिदैन के साथ रहते थे.जमाल अपनी ज़मीनों और गाँव में लगे कारोबार की देखभाल किया करता था.
तीज त्यौहार पर सभी भाई बहन गाँव की हवेली में ही इकट्ठा होते थे. इस बार की ईद बहुत खास थी. जमाल के सबसे छोटे भाई की नयी नयी शादी हुई थी और शादी के वक़्त कुछ रस्में गाँव में हुई थी और बाकी सारी शादी और रस्में शहर से हुई थी.. नयी बहु सरकारी अफसर थी नौकरी की वजह से शादी के बाद गाँव नहीं आ पायी थी. इस बार ईद में पहली बार गाँव आ रही थी.
"बुआ, खाने में क्या क्या बन गया है जल्दी मुझे बताएँ" "रूही किचन में आते हुए बोली.
" बिटिया, कबाब, बिरियानी, निहारी, पालक पनीर, छोला पूरी, राजमा चावल, कद्दू का रायता, कटहल की अचार वाली सब्जी, दही-बड़े, आलू की कचौडी, सलाद चावल के पापड सब बन गये है.
मीठे में खीर, काजू कतली, मूँग बडा, जलेबी और गुलाब जामुन सभी बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिये हैं.
खाने की प्लेट और ग्लास भी रखवा दिये हैं. आप परेशान ना हो.. आराम करें. अब तो मेहमानों के आने का इंतजार है. "
" ठीक है बुआ.. चाय का पानी भी चूल्हे पर रख दीजिये सभी सबसे पहले आकर चाय पियेंगे. तब तक मैं भी तैयार हो जाती हूँ."
"ठीक है बिटिया"
बुआ चाय का पानी चूल्हे पर रखने के लिए उठ गयी थी.
" क्या पहनूँ??... इतने कामों की वजह से ख़ुद के लिए
बाजार जाने का वक़्त नहीं मिल पाया. अलमारी में लगी इतनी भारी साड़ियाँ किचन के कामों में कैसे पहनूँ? आज काम भी ज़्यादा होंगे? चलिए रूही जी पिछली ईद वाली साड़ी ही पहन लीजिए किसी को क्या पता चलता है सब खाने...
रुखसाना ... ये दिए अभी तक नहीं जलाये हैं..जल्दी करो मेहमानों के आने का वक़्त हो रहा है. बाकी और तैयारियाँ भी होनी है. क्या ईद का सामान और पीले फूल मँगवा लिये गये हैं?
सुनो.. दीवार की सजावट के लिए शीशे और रिबन कहाँ रखे हैं उन्हें भी अभी लगा दो.दियों को फूलों से सजी हुई थालियों में रखना.
अच्छा तुम सब जल्दी से इन कामों को पूरा करो मैं ज़रा किचन में जाकर काम देखती हूँ. "रूही अपने नौकरों को ईद की तैयारियाँ समझाकर किचन की तरफ बढ़ गयी थी.
रूही के घर में बहुत धूमधाम से ईद का त्यौहार मनाया जाता रहा है.एक महीने पहले से ही ईद की तैयारियाँ शुरू हो जाती है ..ईद के नजदीक रूही को एक लम्हें की भी फ़ुरसत नहीं होती थी.
रूही के शौहर जमाल के चार भाई और दो बहनें थीं. सभी की शादियाँ हो गयी थीं और सभी शहर में रहते थे. जमाल और रूही गाँव में ही अपने वालिदैन के साथ रहते थे.जमाल अपनी ज़मीनों और गाँव में लगे कारोबार की देखभाल किया करता था.
तीज त्यौहार पर सभी भाई बहन गाँव की हवेली में ही इकट्ठा होते थे. इस बार की ईद बहुत खास थी. जमाल के सबसे छोटे भाई की नयी नयी शादी हुई थी और शादी के वक़्त कुछ रस्में गाँव में हुई थी और बाकी सारी शादी और रस्में शहर से हुई थी.. नयी बहु सरकारी अफसर थी नौकरी की वजह से शादी के बाद गाँव नहीं आ पायी थी. इस बार ईद में पहली बार गाँव आ रही थी.
"बुआ, खाने में क्या क्या बन गया है जल्दी मुझे बताएँ" "रूही किचन में आते हुए बोली.
" बिटिया, कबाब, बिरियानी, निहारी, पालक पनीर, छोला पूरी, राजमा चावल, कद्दू का रायता, कटहल की अचार वाली सब्जी, दही-बड़े, आलू की कचौडी, सलाद चावल के पापड सब बन गये है.
मीठे में खीर, काजू कतली, मूँग बडा, जलेबी और गुलाब जामुन सभी बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिये हैं.
खाने की प्लेट और ग्लास भी रखवा दिये हैं. आप परेशान ना हो.. आराम करें. अब तो मेहमानों के आने का इंतजार है. "
" ठीक है बुआ.. चाय का पानी भी चूल्हे पर रख दीजिये सभी सबसे पहले आकर चाय पियेंगे. तब तक मैं भी तैयार हो जाती हूँ."
"ठीक है बिटिया"
बुआ चाय का पानी चूल्हे पर रखने के लिए उठ गयी थी.
" क्या पहनूँ??... इतने कामों की वजह से ख़ुद के लिए
बाजार जाने का वक़्त नहीं मिल पाया. अलमारी में लगी इतनी भारी साड़ियाँ किचन के कामों में कैसे पहनूँ? आज काम भी ज़्यादा होंगे? चलिए रूही जी पिछली ईद वाली साड़ी ही पहन लीजिए किसी को क्या पता चलता है सब खाने...