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पहली मोहब्बत Part 1
प्यार कहने को दाई अखर का शब्द है लेकिन इसके के माईने बहुत बड़े है। किसी के लिए प्यार ज़िंदगी है तो किसी लिए जीने की वजह। तो हाज़िर हूँ ऐसी ही प्यार की कुछ किसो और कहानियों के साथ तो सुरु करते है।



आज मौसम बहुत ख़राब था लेकिन मुझे टाइम से पहुंचना भी था नहीं तो कीर्ति मेरी जान ले लेगी। लेकिन लगता है आअज मेरी किस्मत बहुत ख़राब है न कोई टेक्सी न ऑटो मिल रहा था ऊपर से मुंबई की बारिश के बार शुरू हो जाये तो रुकने का नाम नहीं लेती। मैं अपने घर के बाहर खड़ी थी और सोच रही थी कैसे जाऊं तभी एक ऑटो दिखी में जल्दी सी उस में बैठी और उसे वेंकेट मर्रिज हाल जाने का बोला लेकिन आज मेरी किस्मत में लेट होना ही लिखा था। ऑटो वाला मुझे आधे रश्ते उत्तार गया। हलकी हलकी बारिश भी शुरू थी लेकिन मैं फस चुकी थी। मैं सोच रही थी की क्या करूं तभी मेरी पास से एक गाड़ी गुजरी पहले तो वो आगे चली गई लेकि थोड़ी देर बाद वो गाड़ी मेरे पास आ कर रुकी। 

 जैसे ही गाड़ी मेरे पास आकर रुक मैं डर गई कही कुछ गलत न हो जाये लेकिन मैंने अपने चेहरे पर डर आने नहीं दिया । गाड़ी मेरे पास आ कर रुकी गाड़ी का सीसा निचे हुआ तो एक बहुत ही हैंडसम सा चेहरा बाहर आया जिसे देख कर मेरे दिल की कुछ धड़कने मिस हो गई। मैं उस इन्सान की समदर सी आंखें में खोने लगी। इतने में उसकी आवाज आई। मिस आप चाहो तो मैं आपको लिफ्ट दे सकता हूं। उसकी बात सुन एक बार को तो मन किया चली जाऊं लेकिन फिर ऐसे किसी अनजान के साथ कैसे सोचने लगी तभी वो बोला आप ट्रस्ट कर सकती है। उसकी ये बात कही ना कही दिल को सुकून दे रही थी। थोड़ा सोच कर मैं 4उसकी गाड़ी में बैठ गई फिर उसको एड्रेस बता दिया। उसने बिना कुछ बोले उस तरफ गाड़ी मोड़ दी।

एक तो मौसम इतना हसीन उपर से गाड़ी मे चल रहा गाना
"पहला पहला प्यार है,
पहली पहली बार है,
जानके भी अनजाना ऐसा मेरा यार है" मेरे दिल धड़कन पता नही क्यों बड़े चली जा रही थी खेर जैसे तैसे मैं अपनी मजिल पर पूहुंची और उसको थैंक्स बोल बिना उसे देख भाग आई और आकर कीर्ति के पास बैठ गई "पलक तू कहा थी अभी आ रही है और इतना हाफ क्यों रही है" इस पहले मैं कुछ बोलती कोई बोला "तुम्हारी दोस्त को मैराथन दौड़ने का बहुत शौंक है"
"अमर भाई" कीर्ति के मुंह से अमर भाई सुनकर मैं बर्फ के जैसे जम गई अमर मेरा अमर नही नही कोई और होगा ये वो नही है मैं अपनी ही सोच में घूम थी कीर्ति अमर को मेरे सामने लेकर आ गई "पलक ये देख अमर भाई आए हैं तू कॉलेज टाइम...."इससे पहले कीर्ति बात पूरी करती मैंने उसके मुंह में पास पड़ी मिठाई डाल दी और वो मुझे घूर कर देखने लगी।

"अपनी बात पूरी करो कीर्ति क्या बोल रही थी" अमर ने मुझे देख कर कहा
"कुछ नही भाई" कीर्ति ने चिढ़ते हुए कहा। अब उसका गुस्सा झेलने से अच्छा था मैं वहा से भाग जाऊं तो कॉल का बोल मैं चली गई थोड़ी दूर गई थी की किसी ने मुझे अपनी और खींच लिया। मैं चीखने वाली थी की वो बोले "🤫 कुछ मत बोलो" ये आवाज मेरे दिल की तरंगे छेड़ने वाली थी ये अमर थे वो मेरे कान के पास आए और बोले "तो आप कॉलेज टाइम से मुझे क्या करती है"अमर का सुन कर एक मेरी एक धड़कन मिस हो गई। मैं कुछ बोलती उससे पहले ही अमर बोले "आपका तो नही मालूम लेकिन हम आपको तबसे चाहते है जब से आपको देखा है, बहुत पहले आपको सब बताना चाहते थे लेकिन हिम्मत नही हुई आज जब आपको देखा तो हम खुद की फीलिंग्स को और कंट्रोल नही कर सके अब जल्दी ही आपके घर मां पापा को भेजने वाले तो रेडी हो जाए मिसेज अमर गिल बनने को" अमर की एक एक बात हमको दीवाना कर रही थी आज हमारी एक तरफा मोहब्बत दो तरफा थी हमारी मोहब्बत अधूरी नही थी। अमर ने अपनी बात की और मुझे एक बेबी किस दे कर चले गए। आज मैं बहुत खुश थी मेरी मोहब्बत की कहानी पूरी हुई थी। मुझे अब और कुछ नही चाहिए था आज मैं बहुत खुशी। और खुशी खुशी मैं कीर्ति के पास चली गई।

जब मैं कीर्ति के पास गई वो किसी से बात कर रही थी मैं उसके पास गई तो बोली पलक इनसे मिल ये है वैशाली भाभी अमर के सबसे अच्छे दोस्त की वाइफ मैने उनको हैलो कहा "पलक बैठ यहां भाभी अपनी लव स्टोरी सुनने वाली है" कीर्ति की बात सुन हम वही बैठ गए और वैशाली भाभी ने बोलना शुरू किया...........




To be continued.......


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