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९ देवी दर्शन ....एक यात्रा वर्णन (पार्ट-१)
दिनांक-२३/३/२०१९
सुबह के ५:३० बज रहे थे मां ने हम(में,कोमल(मेरी बहन ),पापा,मेरा बड़ा भाई(मनीष))सब को जगाया और बोला कि जल्दी से उठ जाओ और तैयार हो जाओ ट्रेन छूट जाएगी।हम लोग जल्दी - जल्दी तैयार हो गए और रवि (भाई)को जगाया और उसे गाड़ी निकलने को कहा फिर हम सब गाड़ी में बैठ गए और रेलवे स्टेशन के लिए रवाना हुए और थोड़ी देर में पहुंच गए ।पापा ने ४टिकट ली और हमें ट्रेन में बिठा दिया।ट्रेन मंडावली चंदन बिहार स्टेशन से ५:४५ पर रवाना हुई ।
हम लोग ट्रेन में बैठ गए हमारे ननिहाल जाने के लिए ।
थोड़ी देर बाद एक चाय वाला आया ये बोलते हुए भाई चाय ले लो चाय मैडम चाय ले लो और चने , नमकीन बेचने वाले भी।
ट्रेन साहिबाबाद,गाजियाबाद और भी स्टेेशनो पर ५-१० मिनट के लिए रुकती और फिर चल देती । ट्रेन से हिंडन नदी ,बहुत सी फैक्ट्री,रेल के किनारे के घर दिख रहे थे।
थोड़ी देर बाद ट्रेन चोले स्टेशन पर रुक गई फिर आधे घंटे तक रुकी रही फिर हमारी ट्रेन के साथ से तीन ट्रेन बारी- बारी निकल गई और फिर हमारी ट्रेन भी चल दी और खुर्जा जंक्शन रेलवे स्टेशन पर रुक गई अब हम लोग भी ट्रेन से उतर गए और स्टेशन से बाहर निकलने लगे ।हम लगभग २:०० घंटे में पहुंच गए थे ।
बहुत से तांगे वाले और ऑटो वाले स्टेशन के बाहर खड़े थे और आवाज लगा रहे थे १० रुपए सवारी - १० रुपए सवारी हम लोग भी एक ऑटो में बैठ गए और पहासू बस अड्डे के लिए चल दिए ।रास्ते में ऑटो वाले ने हमें धोका दे दिया और खुर्जा की मार्केट में उतार दिया फिर उसके बाद हम पैदल ही पहासू बस अड्डे तक चले गए।हम लोगो को बहुत तेज भूक भी लग री थी लेकिन हमने वहां कुछ खाया नहीं यह सोच के की थोड़ी देर बाद कहीं रुक कर खा लेंगे ।अब हम एक ऑटो में फिर से बैठ गए और अपने ननिहाल करोरा के लिए चल दिए।करीब १० किलोमीटर चलने बाद हम पहुंच गए गावं के बाहर और एक छोले के स्टॉल पर से छोले कुलचे खरीदे और बेग से आलू के पराठे निकाल कर सबने मिल कर खाएं अब हम लोगो में थोड़ी ताकत आ गई और हम सब घर के लिए पैदल ही चल दिए ।रास्ते में मम्मी ने एक बाइक वाले को रूकवाया और बोला कि बेटा इन्हे भीतरी कुएं पर छोड़ देना हम दोनों बहन चले गए और वहां पर उतर गए फिर हम घर पहुंच गए।
to be continued........






© nehachoudhary