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और फिर जब वो बनी कलक्टर सहीबा तो फिर एक पुराना किस्सा सामने आया।।
जब नायक(गृहक)उस वैशया की दास्तान सुनता है तो फिर वो रूक नहीं पता और अपना कार्ड निकाल कर वैशया को उसके पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने एक सुनहरा अवसर प्रदान करता है और वह वैशया नायक -कृष्णानन्द वैशलयकरमी राजपूत वासुदेव से धन्यवाद अदा करती है और कहती ठीक है साहब मैं आपका स्वपन पूरा करने की कोशिश ज़रूर करूंगी।।
और फिर इसी के चलते वो लड़की पहले अपना पूरा कार्य छोड़कर एक स्वर्गीय पिता का सपना पूरा करने की ओर निकल चुकी होती।। जिसके लिए वह पहले एक विदेश की यात्रा करती गल्फ जहां रहकर वह एक छोटी सी कोचिंग में तैयारी करके और लगभग 10से१००बार असफल होने पर वह फिर से तिनका तिनका बिखरने लगती हैं।
मगर अब १०१वीं बारवें प्रयास में सलेक्ट होकर जब दिल्ली आई जहां पर हर परिछयार्थी का इंटरव्यू होता है।।
लेकिन क्या वो इंटर व्यू दे कर अपने अस्तित्व तथा प्रेम का मान रख पाएंगी।।
#प्रशनवाचक
#लेखिकानायिका इंटर व्यू रूम।।
#पिता और एक दिशा घनश्याम का स्वप्न।।
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