प्रेम अनन्त वासना सभा साभागार ।।
एक वैशया और श्रीकृष्ण प्रेम गाथा अनन्त है जो कि वैशया के लिए एक प्रेम वीडा है मगर ऐसा कया जो एक वैशया और श्रीकृष्ण की प्रेम शैली है क्योंकि ऐसा देखा गया है कि वह एक वैशया होकर कृष्ण भक्ति में लीन होन होने के कारण वो बहुत ज्यादा संघर्ष करती फिर भी वो हर बार परिछा चुनाव में जाती है और श्रीकृष्ण के प्रेम वो अंधी होकर अपना कर्तव्य और दायित्व अनजाने में समाप्त कर चकी होती है उसके प्रथम जन्म लिया था एक वैशया लैशवी के रूप जो कि कृष्णानंद जैसे यक्ति की वजह से पहला विफल हो जाता है।।
और सवाल ये उठता है कि कृष्णानंद द्वारा वासना
विवाह हित होने के बाद उसका विवाहित जीवन कैसा व्यतीत हो रहा हो गा।। क्योंकि जैसा कि हम जानते हैं कि अपनी के कुछ समय में बाद उखड़ा उखड़ा रहने लगा और इधर लैसवी यह बिल्कुल नहीं जानते थी उसका अपने ही मित्र की शेकटरी के
अफेयर चल रहा था बल्कि इतना ही नहीं अब उनके बीच धीरे धीरे नजदीकियां बढ़ रही थी और जब वो अजानक एक दिन जब अपने दूसरी शादी कर के पहुचता तो फिर जो हुआ तो काबिलियत तारीफ है।।
#दो सौतनो का वाद-विवाद।।
#धारमिक एवं मार्डन ।।
#गुनेदार
कृष्ण स्तुती एवं दीवानी।।
© All Rights Reserved
और सवाल ये उठता है कि कृष्णानंद द्वारा वासना
विवाह हित होने के बाद उसका विवाहित जीवन कैसा व्यतीत हो रहा हो गा।। क्योंकि जैसा कि हम जानते हैं कि अपनी के कुछ समय में बाद उखड़ा उखड़ा रहने लगा और इधर लैसवी यह बिल्कुल नहीं जानते थी उसका अपने ही मित्र की शेकटरी के
अफेयर चल रहा था बल्कि इतना ही नहीं अब उनके बीच धीरे धीरे नजदीकियां बढ़ रही थी और जब वो अजानक एक दिन जब अपने दूसरी शादी कर के पहुचता तो फिर जो हुआ तो काबिलियत तारीफ है।।
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#धारमिक एवं मार्डन ।।
#गुनेदार
कृष्ण स्तुती एवं दीवानी।।
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