नया शहर (भाग 2) आखिरी
हैदराबाद आये मुझे अभी थोड़े ही दिन हुए है. इन दिनों में शहर को जानने का इतना मौका नहीं मिला. हाँ बस ऑफिस और घर तक का रास्ते जानने लगा हुं.
ऑफिस से ज्यादा दूर वो सोसायटी नही है यहाँ मेरा फ्लैट है.
खैर, थोड़ी तकलीफ़ जरूर हुई नये शहर में खुद को ढालने मे. खाना के लिए टिफिन की व्यवस्था हो गई. Activa मैं अपनी ले ही आया था. फ्लैट भी किराये पर मिल गया. अभी सब ठीक चल रहा है, पर रह रह कर घर की याद आती है. जयपुर की. और उन गलियों की.
कल यानी 8 December को मेरा जन्म दिन था. सुबह से बधाई के लिए call message आ रहे थे. फिर ऑफिस गया और काम मे व्यस्त हो गया. दिन कब बीत गया पता ही नही चला.
शाम को मम्मी से बात की तो एहसास हुआ के अपने घर से, उन सब से कितना दूर हुं जो मेरे दिल के करीब है और रहेंगे हमेशा.
बस एक छोटे शहर से निकले इस लड़के की कहानी चलती रहेगी इस बड़े शहर में.
© @mrblank00
ऑफिस से ज्यादा दूर वो सोसायटी नही है यहाँ मेरा फ्लैट है.
खैर, थोड़ी तकलीफ़ जरूर हुई नये शहर में खुद को ढालने मे. खाना के लिए टिफिन की व्यवस्था हो गई. Activa मैं अपनी ले ही आया था. फ्लैट भी किराये पर मिल गया. अभी सब ठीक चल रहा है, पर रह रह कर घर की याद आती है. जयपुर की. और उन गलियों की.
कल यानी 8 December को मेरा जन्म दिन था. सुबह से बधाई के लिए call message आ रहे थे. फिर ऑफिस गया और काम मे व्यस्त हो गया. दिन कब बीत गया पता ही नही चला.
शाम को मम्मी से बात की तो एहसास हुआ के अपने घर से, उन सब से कितना दूर हुं जो मेरे दिल के करीब है और रहेंगे हमेशा.
बस एक छोटे शहर से निकले इस लड़के की कहानी चलती रहेगी इस बड़े शहर में.
© @mrblank00