वो सांवली सी लड़की....
आज सुबह स्कूल का पहला दिन...
मतलब ये नहीं की पहली बार जा रहा था...
मतलब ये की जून की छुट्टियों के बाद नई क्लास में जाना पहला दिन ही होता था...
नए बच्चे नये दोस्त...
नई किताब नए शौक़....
जी हा....
मुझे स्कूल बहुत पसंद था.... और होता भी क्यू ना मैं अपनी टीचर्स का पसंदीदा जो था....
मुझे स्कूल में दो ही काम आते थे... एक टीचर्स से तारीफें पाना... और दूसरा मॉनिटर बनकर बच्चो को डराना....
वैसे इस बात से बहुत लोग सहमत करेंगे की टॉपर होने का अपना ही अंदाज होता है स्कूल में....😀
मगर आज से हमारे क्लास में लड़कियां भी साथ पढ़ने वाली थी क्यूंकि हमारा स्कूल क्लास ९ से अलग शाखा में चलता था.....
मतलब मेरे को लड़कियों से खुशी नहीं थीं
बल्कि मेरे को तो अब अच्छा मौका मिल गया था... सुवर्णा से बदला लेने का... और उसपर भी अपनी धौस ज़माने का....
जी हा..... सुवर्णा....जिसको मैंने देखा तो नहीं था मगर सुना था कि वो गर्ल्स शाखा की टॉपर है.... क्यूंकि हमलोग की शाखा पहले अलग थीं... और मुझे फुरसत नहीं थी कि मै किसी और टॉपर को देखने जाऊं....
मगर आज मै उसे देखूंगा .....
इस समय मेरी भावना बस जलन की थी...... जैसे उसने मेरा क्या ले लिया है....................आखिर स्कूल के ज़माने में आपका कंप्तेटियर ही आपका सबसे बड़ा शत्रु होता है...हना...😀
समय से पहले स्कूल जाना मेरी आदत में बेशुमार था तो में घंटी लगने की आधे घंटे पहले ही स्कूल पहुंच गया...
और आज पहली बार मैंने स्कूल में जाकर
कॉपी नहीं खोली... बल्कि मै बालकनी में खड़े होकर इंतजार कर रहा था वो भी एक लड़की का जिसको मैंने देखा नहीं... मगर उसकी एक ओर खासियत थी वो सांवली सी चश्मिश थी.... और मै इसी तरह की लड़की को अपनी क्लास में आते हुए देखने का इंतजार कर रहा था...🕣🕣🕣🕣
स्कूल बेल बज गई .... प्रार्थना हो गई...
सब क्लास में गए... और आज क्लास ऐसी लग रहीं थीं जैसे कोई क्लास नहीं हमलोग वेलेंटाइन पार्क में आए है.. खैर ये तो आपको पता ही होगा .....
सब एक दूसरे को खुश करने में लगे थे जैसे अब सीधा शादी ही करने का इरादा है..... मगर मेरा इंतज़ार अभी बाकी था.....
मुझे जैसी लड़की का इंतजार था वो अभी भी नहीं आयी थी....
टीचर् ने सभी बच्चों की उपस्थिति लेना शुरू की.. मुझे लगा की ये कैसी टॉपर है पहले दिन ही अनुपस्थित है आखिर टॉपर तो हर चीज में टॉप होते है.....
मुझे मन ही मन खुशी हुई कि शायद वो किसी और स्कूल चली गई हैं....
मगर मेरी खुशी कुछ पल की ही थी...
अचानक से मुझे क्लास में किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी...
क्या मै अंदर आ सकती हूं टीचर???अचानक मुझे लगा मेरा इंतज़ार ख़तम हो गया है मैंने मुड़कर देखा....
वो पहली मुलक़ात थी मेरी उससे....
कोई खासियत ना होने के बाद भी ना जाने क्यूं मै एकटक उसको देखता ही रह गया....
क्या यही वो लड़की है जिससे मुझे जलन है... क्या ये टॉपर है.... मै मुस्कुराया......
वो पतली दुबली सी सांवली सी लडकी...
"सुवर्णा"....जी हां ऐसी थी सुवर्णा .. और शायद मैंने उसके दिमाग की तुलना उसके रंग रूप से कर ली थी......
उसके दिमाग का अंदाज़ा मैंने पहले दिन ही लगा लिया जब वो नई होकर भी एक ही दिन में मेरे जगह पर आ गई थी.....
उस दिन मै घर आकर बहुत रोया..... इतना की जैसे किसी ने मेरे अपने को छीन लिया हो और रोता भी क्यू ना हमेशा से क्लास में मुझे...
मतलब ये नहीं की पहली बार जा रहा था...
मतलब ये की जून की छुट्टियों के बाद नई क्लास में जाना पहला दिन ही होता था...
नए बच्चे नये दोस्त...
नई किताब नए शौक़....
जी हा....
मुझे स्कूल बहुत पसंद था.... और होता भी क्यू ना मैं अपनी टीचर्स का पसंदीदा जो था....
मुझे स्कूल में दो ही काम आते थे... एक टीचर्स से तारीफें पाना... और दूसरा मॉनिटर बनकर बच्चो को डराना....
वैसे इस बात से बहुत लोग सहमत करेंगे की टॉपर होने का अपना ही अंदाज होता है स्कूल में....😀
मगर आज से हमारे क्लास में लड़कियां भी साथ पढ़ने वाली थी क्यूंकि हमारा स्कूल क्लास ९ से अलग शाखा में चलता था.....
मतलब मेरे को लड़कियों से खुशी नहीं थीं
बल्कि मेरे को तो अब अच्छा मौका मिल गया था... सुवर्णा से बदला लेने का... और उसपर भी अपनी धौस ज़माने का....
जी हा..... सुवर्णा....जिसको मैंने देखा तो नहीं था मगर सुना था कि वो गर्ल्स शाखा की टॉपर है.... क्यूंकि हमलोग की शाखा पहले अलग थीं... और मुझे फुरसत नहीं थी कि मै किसी और टॉपर को देखने जाऊं....
मगर आज मै उसे देखूंगा .....
इस समय मेरी भावना बस जलन की थी...... जैसे उसने मेरा क्या ले लिया है....................आखिर स्कूल के ज़माने में आपका कंप्तेटियर ही आपका सबसे बड़ा शत्रु होता है...हना...😀
समय से पहले स्कूल जाना मेरी आदत में बेशुमार था तो में घंटी लगने की आधे घंटे पहले ही स्कूल पहुंच गया...
और आज पहली बार मैंने स्कूल में जाकर
कॉपी नहीं खोली... बल्कि मै बालकनी में खड़े होकर इंतजार कर रहा था वो भी एक लड़की का जिसको मैंने देखा नहीं... मगर उसकी एक ओर खासियत थी वो सांवली सी चश्मिश थी.... और मै इसी तरह की लड़की को अपनी क्लास में आते हुए देखने का इंतजार कर रहा था...🕣🕣🕣🕣
स्कूल बेल बज गई .... प्रार्थना हो गई...
सब क्लास में गए... और आज क्लास ऐसी लग रहीं थीं जैसे कोई क्लास नहीं हमलोग वेलेंटाइन पार्क में आए है.. खैर ये तो आपको पता ही होगा .....
सब एक दूसरे को खुश करने में लगे थे जैसे अब सीधा शादी ही करने का इरादा है..... मगर मेरा इंतज़ार अभी बाकी था.....
मुझे जैसी लड़की का इंतजार था वो अभी भी नहीं आयी थी....
टीचर् ने सभी बच्चों की उपस्थिति लेना शुरू की.. मुझे लगा की ये कैसी टॉपर है पहले दिन ही अनुपस्थित है आखिर टॉपर तो हर चीज में टॉप होते है.....
मुझे मन ही मन खुशी हुई कि शायद वो किसी और स्कूल चली गई हैं....
मगर मेरी खुशी कुछ पल की ही थी...
अचानक से मुझे क्लास में किसी लड़की की आवाज़ सुनाई दी...
क्या मै अंदर आ सकती हूं टीचर???अचानक मुझे लगा मेरा इंतज़ार ख़तम हो गया है मैंने मुड़कर देखा....
वो पहली मुलक़ात थी मेरी उससे....
कोई खासियत ना होने के बाद भी ना जाने क्यूं मै एकटक उसको देखता ही रह गया....
क्या यही वो लड़की है जिससे मुझे जलन है... क्या ये टॉपर है.... मै मुस्कुराया......
वो पतली दुबली सी सांवली सी लडकी...
"सुवर्णा"....जी हां ऐसी थी सुवर्णा .. और शायद मैंने उसके दिमाग की तुलना उसके रंग रूप से कर ली थी......
उसके दिमाग का अंदाज़ा मैंने पहले दिन ही लगा लिया जब वो नई होकर भी एक ही दिन में मेरे जगह पर आ गई थी.....
उस दिन मै घर आकर बहुत रोया..... इतना की जैसे किसी ने मेरे अपने को छीन लिया हो और रोता भी क्यू ना हमेशा से क्लास में मुझे...